बासर गांव स्थित मंदिर के विषय में कहते हैं कि महाभारत के रचयिता महाऋषि वेद व्यास जब मानसिक उलझनों से उलझे हुए थे तब शांति के लिए तीर्थ यात्रा पर निकल पड़े, अपने मुनि वृन्दों सहित उत्तर भारत की तीर्थ यात्राए कर दंडकारण्य (बासर का प्राचीन नाम) पहुंचे। गोदावरी नदी के तट के सौंदर्य को देख कर कुछ समय के लिए वे यहीं पर रुक गए।
स्थानीय मान्यता है कि यहां आज भी माता सरस्वती निवास करती हैं..
मंदिर के गर्भगृह, गोपुरम, परिक्रमा मार्ग आदि इसकी निर्माण योजना का हिस्सा हैं। मंदिर में केंद्रीय प्रतिमा सरस्वती जी की है, साथ ही लक्ष्मी जी भी विराजित हैं। सरस्वती जी की प्रतिमा पद्मासन मुद्रा में 4 फुट ऊंची है।
मंदिर के पूर्व में निकट ही महाकाली मंदिर है और लगभग एक सौ मीटर दूर एक गुफा है। यहीं एक अनगढ़ सी चट्टान भी है, जहां सीताजी के आभूषण रखे हैं। बासर गांव में 8 ताल हैं जिन्हें वाल्मीकि तीर्थ, विष्णु तीर्थ, गणेश तीर्थ, पुथा तीर्थ कहा जाता है।