नवरात्र के 9 दिनों में आदिशक्ति दुर्गा के 9 रूपों का भी पूजन किया जाता है। माता के इन 9 रूपों को 'नवदुर्गा' के नाम से जाना जाता है। नवरात्र के 9 दिनों में मां दुर्गा के जिन 9 रूपों का पूजन किया जाता है, उनमें पहला शैलपुत्री, दूसरा ब्रह्मचारिणी, तीसरा चंद्रघंटा, चौथा कूष्मांडा, पांचवां स्कंदमाता, छठा कात्यायनी, सातवां कालरात्रि, आठवां महागौरी और नौवां सिद्धिदात्री की पूजन की जाती है।
नवरात्र के 9 दिनों तक विधिवत उपवास करने के बाद आश्विन मास, शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि के दिन उपवासों का समापन किया जाता है। प्रत्येक उपवासक की यह जिज्ञासा रहती है कि वह माता को भोग में क्या दें कि माता शीघ्र प्रसन्न हों। हिन्दुओं का कोई भी उपवास भोग, प्रसाद के बिना पूरा नहीं होता है। व्रत किसी भी उद्देश्य के लिए किया गया हो, उसमें देवी-देवताओं को भोग अवश्य लगाया जाता है। नवरात्र के 9 दिनों में 9 देवियों को अलग-अलग भोग लगाया जाता है।
माता सिद्धिदात्री को लगाया जाने वाला भोग- नवरात्र के नौवें दिन माता सिद्धिदात्री की पूजा-आराधना का होता है। माता सिद्धिदात्री को सभी प्रकार की सिद्धियां देने वाली कहा गया है। नवरात्रि के नवम दिन इनकी पूजा और आराधना की जाती है। इन्हें सिद्धियों की स्वामिनी भी कहा जाता है। नवमी तिथि का व्रत कर, माता की पूजा-आराधना करने के बाद माता को तिल का भोग लगाना इस दिन कल्याणकारी रहता है। यह उपवास व्यक्ति को मृत्यु के भय से राहत देता है और अनहोनी घटनाओं से बचाता है।