17 अक्टूबर 2018, शारदीय नवरात्रि, तिथि अष्टमी को सूर्य देवता अपने नीच राशि तुला में जा रहे हैं। सूर्य तुला राशि में नीच के माने जाते है। सूर्य 10 डिग्री तक तुला राशि में नीच के माने जाते हैं। सूर्य का नक्षत्र उत्तराषाढ़ा का होता और अष्टमी के दिन नक्षत्र भी सूर्य का ही है, जो विशेष महत्वपूर्ण है। जिन जातकों की कुंडली में सूर्य नीच के हों, वह इस नवरात्रि अष्टमी वाले दिन माता महागौरी की पूजा करके विशेष लाभ प्राप्त कर सकते हैं।
सूर्य के नीच होने पर प्रभाव
जिन जातकों की कुंडली में सूर्य नीच के होते हैं, उन्हें जीवन भर कठिनाईयों का सामना करना पड़ता है। ऐसे जातक को मानसिक, शारीरिक और बौद्धिक स्तर पर भी बहुत ज्यादा उतार-चढ़ाव देखने को मिलता है। व्यक्ति कोई भी कार्य कर ले, उसे जल्दी सफलता प्राप्त नहीं होती है। कुंडली के बारह भावों में नीच के सूर्य का अलग-अलग परिणाम देखने को मिलता है, लेकिन सामान्यत: सामाजिक तौर पर व्यक्ति को ज्यादा महत्व नहीं दिया जाता है।
इस उपाय से पाएं सूर्य की कृपा
जिनकी कुंडली में सूर्य शुभ न हों या सूर्य नीच के हों, ऐसे लोग उपाय के तौर पर संध्या के समय दुर्गा सप्तशती में देवी कवच, अर्गलास्तोत्रम् और कीलक स्तोत्रम् का पाठ कर एक माला गायत्री मंत्र का जाप करके हवन अवश्य करें। साथ ही सूर्य से संबंधित वस्तुएं जैसे घी, कांसा, गुड़, सोना, गेहूं, तांबा, लाल चन्दन का दान करें और अपने गुरु या पुरोहित द्वारा रक्षासूत्र बंधवाएं। इस उपाय से निश्चित रूप से आप पर सूर्यदेव की कृपा बरसेगी और लाभ मिलेगा। इस उपाय के साथ नवमी की सुबह सूर्य को अर्घ्य देना न भूलें।