छठे चरण की वोटिंग कल, 117 सीटें और 11 राज्य

7 अप्रैल से शुरू हुए 9 चरणों के लोकसभा चुनाव का छठा चरण गुरुवार को संपन्न होगा। इस चरण में 24 अप्रैल को 11 राज्यों सहित एक केंद्र शासित प्रदेश में 117 सीटों के लिए मतदान होंगे। अभी तक हुए मतदानों को देखें, तो इस बार का मत प्रतिशत पिछले लोकसभा चुनावों के मुकाबले अच्छा रहा है। हर चरण में होने वाले मतदान का बढ़ता प्रतिशत धीरे-धीरे मतदाताओं में आ रही जागरूकता का संकेत दे रहा है। छठे चरण में होने वाले मतदान के लिए भी हमने पिछले चरणों की ही तरह उम्मीदवारों की दृष्टि से कुछ महत्वपूर्ण सीटों का चुनाव कर आपको जानकारियां पहुंचाने की कोशिश की है।
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भागलपुर : यह सीट भाजपा प्रत्याशी शाहनवाज़ हुसैन के कारण ख़ास है। शाहनवाज़ इस सीट पर 2006 और 2009 के चुनाव में भी आरजेडी से शकुनि चौधरी को हराकर कब्ज़ा किए हुए हैं। इस बार आरजेडी ने यहां से पार्टी की साख बचाने के लिए शैलेष कुमार मंडल के हाथों में कमान सौंपी है। जद(यू) ने अबू क़ैसर, सपा ने पुरुषोत्तम चौबे, आप ने प्रो. योगेंद्र महतो, बसपा ने नौशाबा खानम को टिकट दी है। इनके अलावा भी कई उम्मीदवार किसी पार्टी के झंडे तले या फिर निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में टक्कर देने के लिए कमर कसे बैठे हैं।

बिलासपुर : बिलासपुर सीट कांग्रेस की करुणा शुक्ला के कारण ध्यान खींच रही है। करुणा, पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की भतीजी होने के साथ ही पहले भाजपा की सांसद भी रह चुकी हैं। फिल्हाल वे कांग्रेस की ओर से मोर्चा सम्हाल रही हैं। ऐसे में हाल ही में भाजपा का दामन छोड़कर कांग्रेस में शामिल हुईं करुणा के लिए चुनाव जीतना किसी बड़ी चुनौती से कम नहीं होगा। भाजपा के लखनलाल साहू इनका मुकाबला है। भाजपा के लखन लाल साहू के अलावा निर्दलीय प्रत्यशी के रूप में भी यहां से 4 और लखनलाल साहू मैदान में हैं। आप ने आंनद मिश्रा को टिकट दिया है। बसपा, सपा सहित और भी उम्मीदवार चुनाव मैदान में हैं।

विदिशा : यह सीट 15वीं लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष व वरिष्ठ नेता सुषमा स्वराज की वजह से विशेष है। पार्टी ने उन्हें प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के भाई व कांग्रेस प्रत्याशी लक्ष्मण सिंह से मोर्चा लेने के लिए उतारा है। देखना रुचिकर होगा कि कभी भाजपा में रहकर राजनीति कर रहे लक्ष्मण अब कांग्रेस का झंडा थामकर, सुषमा के सामने कहां तक टिक पाते हैं। इनके अलावा ख़ासतौर पर आप के भगवंत सिंह राजपूत के साथ, बसपा ने अमर सिंह पटेल और सपा ने मनोज कुमार यादव को उम्मीदवार बनाया है।

इंदौर : केंद्र में मंत्री तथा भाजपा की राष्ट्रीय महासचिव रह चुकीं सुमित्रा महाजन इंदौर से पार्टी प्रत्याशी हैं। और इसी कारण इस बार भी इंदौर सीट पर लोगों का ध्यान आकृष्ट करेगी। 1989 से हर बार जीत दर्ज करती आ रहीं सुमित्रा, 8वीं बार चुनाव मैदान में हैं। सुमित्रा की मज़बूत दावेदारी के सामने कांग्रेस ने सत्यनारायण पटेल और आप ने अनिल त्रिवेदी को भेजा है। वहीं बसपा, सपा आदि के साथ कई अन्य दलों के व निर्दलीय प्रत्याशी भी इंदौर का ताज जीतने की दौड़ में हैं।

मंदसौर : इस सीट पर, राहुल गांधी की करीबी मानी जाने वाली मीनाक्षी नटराजन कांग्रेस का झंडा सम्हाले हुए हैं। फिलहाल भी यह सीट उन्हीं के पास है। उनका मुकाबला करने भाजपा ने वर्तमान जिलाध्यक्ष सुधीर गुप्ता को उतारा है। हालांकि मीनाक्षी से पहले इस सीट पर 1989 से 2004 तक लगातार भाजपा का कब्ज़ा रहा है। इस बीच हुए 6 चुनावों में डॉ. लक्ष्मीनारायण पांडे ने क्रमश: कांग्रेस के बालकवि बैरागी, महेंद्र सिंह, घनश्याम पाटीदार, नरेंद्र नाहटा और दो बार राजेंद्र सिंह गौतम को को पराजित किया। मगर 2009 के चुनाव में मीनाक्षी ने डॉ. पांडे को 30,819 मतों से हराकर बरसों का सूखा दूर किया। इनके अलावा यहां आप के उम्मीदवार, रतलाम विधायक पारस सकलेचा भी ध्यान खींच सकते हैं।

मुंबई (उत्तर) : यह सीट यहां से वर्तमान सांसद और कभी शिवसेना में रहे संजय निरूपम की वजह से ध्यान देने योग्य है। संजय से पहले इस सीट पर कांग्रेस के ही अभिनेता गोविंदा काबिज़ थे। दोनों ही बार कांग्रेस प्रत्याशियों ने भाजपा के राम नाइक को परास्त किया था। 2009 में तो नाइक महज़ साढ़े पांच हज़ार मतों से परास्त हुए थे। हालांकि इस बार भाजपा ने गोपाल शेट्टी को मैदान सौंपा है। रिपोर्ट्स देखें तो, शेट्टी इस बार यह बाजी मारने को लेकर पूरी तरह आश्वस्त नज़र आ रहे हैं। मुमकिन है, उनके इस विश्वास में मोदी लहर भी बड़ी भूमिका निभाए। आप ने यहां से सतीश जैन पर विश्वास जताया है।

मुंबई (उत्तर-मध्य) : प्रिया दत्त। जी हां, अभिनेता-नेता सुनील दत्त की बेटी प्रिया दत्त और इस क्षेत्र की वर्तमान सांसद भी। यह सीट उन्होंने 2009 के चुनाव में भाजपा के महेश जेठमलानी को हराकर जीती थी। लेकिन इस बार भाजपा का परचम थामे पार्टी के वरिष्ठ नेता रहे स्व.प्रमोद महाजन की बेटी, पूनम महाजन मैदान में हैं। हालांकि प्रिया इस सीट पर काबिज़ हैं लेकिन देखना होगा कि क्या पूनम महाजन उन्हें टक्कर देते हुए मैदान मार सकती हैं। आप की ओर से फिरोज़ पालकीवाला मुकाबले में हैं।

मुंबई (उत्तर-पश्चिम) : इस सीट से गुरुदास कामत कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में हैं। वहीं शिवसेना का ध्वज गजानन कीर्तिकर थामे हैं। कहा जा रहा है कि इस चुनाव में देशभर में 'अबकी बार, मोदी सरकार' नारा गूंज रहा है और यहां भाजपा-शिवसेना गठबंधन है। ऐसे में देखना दिलचस्प होगा कि कीर्तिकर इस बार गुरुदास को किस कदर टक्कर दे पाते हैं। हालांकि निश्चित तौर पर इस बात का फैसला क्षेत्र के मतदाता ही करेंगे। आप ने यहां से मयंक गांधी को उतारा है।

मुंबई (दक्षिण) : नेता पुत्र व कांग्रेस प्रत्याशी मिलिंद देवड़ा की वजह से यह सीट ध्यान खींच रही है। राजनीति, पिता मुरली देवड़ा से इन्हें विरासत में मिली है। वैसे पिछले दो चुनावों से भी यह सीट मिलिंद के ही पास है। इस बार उनकी टक्कर शिवसेना के अरविंद सावंत से होगी। सावंत का भी क्षेत्र मे खासा दबदबा है। वहीं आप की ओर से मीरा सान्याल दावेदारी कर रही हैं। मीरा ने 2013 चुनावों में दिल्ली की आप सीट के लिए अपने पति के साथ मिलकर मुंबई से चंदा जुटाने के लिए अभियान चलाया था। सीपीएम से प्रकाश रेड्डी, बसपा से अब्दुस्सलाम खान क़ासमी आदि भी चुनावी समर में कूद रहे हैं।

मुंबई (उत्तर-पूर्व) : मुंबई की यह सीट विशेष रूप से ध्यानाकर्षण कर रही है। इस सीट पर एनसीपी, भाजपा और आप, तीनों ही पार्टियों के उम्मीदवार अपनेआप में दिग्गज हैं। एनसीपी से संजय दीना पाटिल हैं, वर्तमान में यह सीट इन्हीं के नाम है। भाजपा से डॉ. किरीट सोमैया हैं, जिन्होंने 13वीं लोकसभा में इस सीट पर जीत दर्ज कर पार्टी का प्रतिनिधित्व किया था। आप के टिकट पर समाजसेवी मेधा पाटकर चुनाव लड़ रही हैं।

दौसा : इस सीट पर देश की दो प्रमुख राजनीतिक पार्टियों की ओर से दो सगे भाई आमने-सामने हैं। दोनों ही भाई पुलिस में बड़े अधिकारी रहे हैं। कांग्रेस के टिकट पर बड़े भाई नमो नारायण मीणा, तो भाजपा के टिकट पर हरीश मीणा चुनाव लड़ रहे हैं। फिल्हाल यह सीट निर्दलीय प्रत्याशी डॉ. किरोड़ीलाल मीणा के नाम है। हालांकि, इस बार भी डॉ. मीणा एनपीईपी की ओर से चुनाव मैदान में लोहा लेने उतरे हैं। आप से डॉ. संजीत कुमार धनका, बसपा से चंदूलाल मीणा और सपा से सूरजभान धनका उम्मीदवार हैं। इस सट पर मीणा प्रत्याशियों की अधिकता के कारण मुकाबला दिलचस्प नज़र आ रहा है। देखना होगा कि मीणा समुदाय के मतदाता अपने किस प्रत्याशी के सर जीत का ताज रखते हैं।

सवाई माधोपुर : यह सीट भारतीय क्रिकेट खिलाड़ी व कप्तान रहे मो. अज़हरुद्दीन के कारण नज़र में है। अज़हर वर्तमान में मुरादाबाद से सांसद हैं लेकिन पार्टी की किसी सियासी रणनीति के तहत इस बार अपनी ज़मीन से दूर सवाई माधोपुर से चुनाव लड़ने पर मजबूर हैं। उनका ख़ास मुकाबला भाजपा के सुखबीर सिंह जूनापुरिया से है। वैसे आप ने मुकेश तहरिया, बसपा ने सुरेश और तृणमूल कांग्रेस ने भी दिनेश के रूप में अपने-अपने तीर उम्मीदवार दागे हैं।

शिवगंगा : वर्तमान वित्तमंत्री पी. चिदंबरम के बेटे कार्ति चिदंबरम की कांग्रेस से उम्मीदवारी के चलते यह सीट ध्यान खींच रही है। भाजपा की ओर से यहां एच. राजा चिदंबरम की परेशानियां बढ़ाने के लिए मैदान में हैं। इनके अलावा आप से तमिलाराइमा एस. भी प्रतिद्वंद्वी हैं। साथ ही क्षेत्रीय पार्टियों के अलावा कई निर्दलीय प्रत्याशी भी इस रण में लोहा लेने उतरे हैं। परिणाम जब आएंगे, तब आएंगे लेकिन इस वक़्त बड़े चिदंबरम साहब को अपने साहबज़ादे की जीत को लेकर कमर कसने की ज़रूरत है क्योंकि यहां उनकी इज़्ज़त जो दांव पर लगी है।

मथुरा : यहां अभिनेत्री व भाजपा प्रत्याशी हेमा मालिनी तथा रालद के वर्तमान उम्मीदवार जयंत चौधरी के बीच खास मुकाबला है। यह सीट अभी चौधरी के अधिकार में है। अब इस सीट पर हेमा अपनी मुहर लगा पाती हैं या नहीं, यह प्रश्न पार्टी के साथ उनकी स्वयं की प्रतिष्ठा का भी है। इस ख़ास सीट पर आप ने अनुज कुमार गर्ग, बसपा ने पं.योगेश कुमार द्विवेदी, सपा ने चंदन सिंह को टिकट दिया है। इनके अलावा कई क्षेत्रीय पार्टियों के उम्मीदवारों सहित अनेक उम्मीदवार निर्दलीय खड़े होकर भाग्य आज़मा रहे हैं।

फर्रुखाबाद : इस सीट का आकर्षण कांग्रेस उम्मीदवार सलमान खुर्शीद हैं। भारत सरकार में वर्तमान विदेश मंत्री खुर्शीद वैसे तो इसी सीट पर अभी भी कब्ज़ा किए हुए हैं लेकिन देश में मोदी लहर इस वक़्त अन्य पार्टियों के खेमे में काफी हलचल मचाए हुए है। ऐसे में उन पर भी अपनी सीट बचाए रखने को लेकर दबाव तो अवश्य होगा। वैसे भाजपा ने यहां से मुकेश राजपूत को टिकट दिया है। आप ने तारिक परवेज़, बसपा ने जयवीर सिंह और सपा ने रामेश्वर सिंह यादव को अपना प्रतिनिधि बनाया है।

फतेहपुर सीकरी : यह सीट इस समय बसपा उम्मीदवार सीमा उपाध्याय के अधिकार में है। कभी समाजवादी पार्टी में बड़े पर रह चुके अमर सिंह इस बार राष्ट्रीय लोकदल (आरएलडी) की ओर से मैदान में हैं। अमर सिंह बेशक इस बार दूसरी पार्टी के झंडे तले चुनाव लड़ रहे हैं, लेकिन ये एक बड़ा नाम है। यही वजह है कि देखना दिलचस्प होगा, क्या पिछली बार कांग्रेस उम्मीदवार राज बब्बर को हराकर इस सीट पर जीत दर्ज करने वाली सीमा उपाध्याय इस बार भी अमर सिंह (आरएलडी) को हराते हुए अपना कब्ज़ा बरकरार रख पाएंगी। वहीं रालोद उम्मीदवार अमर सिंह पर भी अपनी प्रतिष्ठा बचाने का ज़बरदस्त दबाव होगा। यहां भाजपा से बाबूलाल चौधरी, आप से महावीर सिंह सोलंकी, सपा से रानी पक्षालिका सिंह, जदयू से पीतम सिंह आदि चुनाव मैदान में हैं।

मैनपुरी : समाजवादी पार्टी प्रमुख मुलायम सिंह इस सीट पर अपना रुतबा कायम रखने के लिए फिर उतर रहे हैं। 2004 और 2009 में भी वो इस सीट से जीत चुके हैं। अभी तक इस सीट पर खास मुकाबला सपा और बसपा के बीच हुआ करता था लेकिन इस बार भाजपा भी टक्कर देती नज़र आ रही है।

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