लखनऊ। देश को 8 प्रधानमंत्री देने वाले उत्तरप्रदेश की 80 सीटों में से 20 से ज्यादा ऐसी महत्वपूर्ण सीटें हैं जिस पर दुनिया की निगाहें लगी हुई हैं।
भारतीय जनता पार्टी के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार और पहली बार और लोकसभा का चुनाव लड़ रहे गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी वाराणसी से मैदान में हैं। वैसे मोदी गुजरात की वडोदरा सीट से भी चुनाव लड़ रहे हैं। चुनाव प्रचार की इंतिहा से गुजर चुके वाराणसी के चुनाव परिणाम पर अब सबकी नजर है।
भ्रष्टाचार के खिलाफ मुहिम छेड़कर सुर्खियों में आई आम आदमी पार्टी (आप) के संयोजक अरविंद केजरीवाल के भाग्य का फैसला भी वाराणसी से होना है।
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी रायबरेली से चौथी बार लोकसभा की उम्मीदवार हैं। वे अपनी सास पूर्व प्रधानमंत्री दिवंगत इंदिरा गांधी और ससुर फिरोज गांधी की सीट रायबरेली की विरासत बनाए रखने की जद्दोजहद में हैं। उनकी सीट पर देश ही नहीं, दुनिया की निगाहें हैं।
कमोबेश यही हालत उनके पुत्र कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी की है, जो अमेठी से तीसरी बार अपनी किस्मत आजमा रहे हैं।
इनके अलावा मैनपुरी, आजमगढ़ और लखनऊ भी अतिमहत्वपूर्ण सीटें हैं, जहां से सपा अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव और भाजपा अध्यक्ष राजनाथ सिंह चुनाव लड़े। इनके परिणाम भी देश की राजनीति पर दूरगामी परिणाम डाल सकते हैं।
जर्मनी से आईं पत्रकार हिलियन और नेपाल की मूल निवासी तथा लंदन के एक विश्वविद्यालय से भारतीय राजनीति पर शोध कर रहीं मिक्की थापा ने कहा कि भारत दक्षिण एशिया का ही महत्वपूर्ण देश नहीं है, बल्कि अब यह विश्व में विशिष्ट स्थान रखता है। यहां के चुनाव परिणाम पर दुनिया की नजर है।
उन्होंने दावा किया कि भारतीय राजनीति के महत्वपूर्ण चेहरों के चुनाव क्षेत्रों में विश्व की निगाहें लगी हुई हैं।
इन क्षेत्रों के अलावा जिन सीटों के परिणाम पर लोगों की नजरें हैं उनमें गाजियाबाद भी शामिल है, जहां से सेवाकाल में जन्मतिथि विवाद को लेकर सुर्खियों में आए पूर्व सेनाध्यक्ष जनरल वीके सिंह भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़े। वे लोकसभा चुनाव पहली बार लड़े।
राम मंदिर आंदोलन के अगली कतार में शामिल नेताओं में शुमार रहीं मध्यप्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती झांसी से कांग्रेस प्रत्याशी और केंद्रीय ग्राम्य विकास राज्यमंत्री प्रदीप जैन आदित्य के खिलाफ चुनाव मैदान में थीं। इन दोनों की वजह से झांसी भी सुर्खियों में है।
केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री और राष्ट्रीय लोकदल (रालोद) के अध्यक्ष चौधरी अजित सिंह अपनी पारंपरिक सीट बागपत से चुनाव लड़े। उन्हें मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त सतपाल सिंह से कड़ी टक्कर मिली है।
लोगों में चौधरी अजित सिंह को लेकर बागपत के परिणाम में जिज्ञासा है। कयास लगाए जा रहे हैं कि अजित सिंह अपने किले को बचाने में सफल रहेंगे। (वार्ता)