नई दिल्ली। भाजपा ने बुधवार को आरोप लगाया कि कई सालों के विराम के बाद इस बार के लोकसभा चुनावों में कुछ राज्यों में मूक बूथ कैप्चरिंग फिर लौट आई है और आयोग को गैरजरूरी कामों की बजाय इसे रोकने में अपनी ऊर्जा लगानी चाहिए।
पार्टी के वरिष्ठ नेता अरुण जेटली ने कहा कि पिछले एक दशक में चुनाव आयोग ने बूथ कैप्चरिंग को नियंत्रित करने में महारत हासिल कर ली थी। पिछले कुछ वर्षों से बूथ कैप्चर करना बहुत कठिन हो गया था।
हालांकि 2014 के चुनाव में कुछ राज्यों, खासकर पश्चिम बंगाल और उत्तरप्रदेश के कुछ क्षेत्रों में मूक बूथ कैप्चरिंग देखने को मिली है।
उन्होंने कहा कि मूक बूथ कैप्चरिंग ऐसी प्रक्रिया है, जहां निर्वाचन ड्यूटी के लिए भेजे गए सुरक्षा बलों को निर्वाचन ड्यूटी पर पर्याप्त रूप से तैनात नहीं किया जाता है। उसे गैर-जरूरी कार्यो में लगा दिया जाता है और मतदान केंद्रों को राज्य पुलिस तथा होमगार्ड की निगरानी में छोड़ दिया जाता है। उनके अनुसार ऐसा जिला प्रशासन की ओर से किया जाता है और जो स्टाफ चुनाव कराता है वह राज्य सरकार का होता है।
उन्होंने कहा कि ऐसे में मतदान केंद्र के इर्द-गिर्द सत्तारूढ़ दल द्वारा अनुकूल वातावरण बना दिए जाने पर विपक्ष के चुनाव एजेंटों को भयभीत करके भगा दिया जाता है। ऐसा होने पर सत्तारूढ़ दल के लोग मनमानी के लिए स्वतंत्र हो जाते हैं।
राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि चुनाव आयोग की ज्यादातर ऊर्जा विभिन्न दलों के नेताओं के विवादास्पद चुनावी भाषणों और आचरणों को निपटाने में लगी रहती है।
उन्होंने कहा जबकि चुनाव का मुख्य पहलू है उसे स्वतंत्र और निष्पक्ष कराना जिसे मूक बूथ कैप्चरिंग के जरिए नहीं होने दिया जाता है। चुनाव आयोग के लिए बेहतर यह होगा कि वह मूक बूथ कैप्चरिंग रोकने पर अपने ऊर्जा लगाए, जो उसका मुख्य काम है। (भाषा)