वाराणसी में कल चुनाव, मोदी का होगा फैसला

रविवार, 11 मई 2014 (17:49 IST)
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वाराणसी। भगवान शिव की नगरी कहे जाने वाले इस शहर के करीब 16 लाख मतदाता सोमवार को लोकसभा की इस चर्चित सीट पर प्रत्याशियों की किस्मत का फैसला करेंगे, जहां भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेन्द्र मोदी त्रिकोणीय मुकाबले का सामना कर रहे हैं।

इस सीट पर मोदी को चुनौती दे रहे केजरीवाल का कहना है कि अगर मोदी वाराणसी से हारते हैं तो वे प्रधानमंत्री नहीं बन सकते जबकि कांग्रेस के अजय राय को ‘स्थानीय बनाम बाहरी' की जंग में जीत का भरोसा है।

वहीं दूसरी ओर, भाजपा इस सीट पर मोदी की रिकॉर्ड जीत के लिए आश्वस्त है, क्योंकि वाराणसी की सीट 2 दशक से अधिक समय से भाजपा का गढ़ रही है। भाजपा को लगता है कि ‘मोदी लहर’ और भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार होने से मोदी की जीत का अंतर और बढ़ा होगा।

हालांकि विडंबना यह है कि इस चुनावी चर्चा से स्थानीय मुद्दे नदारद हैं और चुनावी मुकाबले का मुख्य मुद्दा मोदी बन गए हैं। स्थानीय लोग बनारस की मुख्यधारा गंगा नदी में प्रदूषण सहित कई रोजमर्रा की समस्याओं से जूझ रहे हैं।

भाजपा ने इस सीट को प्रतिष्ठा की लड़ाई बना लिया है और अन्य दल केवल मोदी को हराने के लिए यह चुनाव लड़ते दिख रहे हैं।

भाजपा का कहना है कि उसका मुख्य चुनावी मुद्दा विकास और सुशासन है। हालांकि उसका प्रचार मुख्य रूप से मोदी के इर्द-गिर्द सीमित है। चुनावी मैदान में अन्य दल 'आप' और कांग्रेस हैं, जो मोदी और उनकी भगवा राजनीति के खिलाफ वोट मांग रहे हैं।

इस प्रक्रिया में वाराणसी में चुनाव में सांप्रदायिक आधार पर धुव्रीकरण किया जा रहा है। यह शहर हिन्दुओं का बड़ा तीर्थस्थल है जबकि मुस्लिम समुदाय की यहां 3 लाख से अधिक आबादी है।

वाराणसी लोकसभा सीट में 5 विधानसभा क्षेत्र आते हैं जिसमें से 2 रोहनिया और सेवापुरी मुख्य रूप से ग्रामीण क्षेत्र हैं, जहां अल्पसंख्यक समुदाय की बड़ी आबादी है।

3 शहरी विधानसभा क्षेत्रों वाराणसी उत्तर, वाराणसी दक्षिण और वाराणसी छावनी में भी अल्पसंख्यक समुदाय की अच्छी जनसंख्या है।

इनमें से 3 विधानसभा क्षेत्रों में भाजपा के विधायक हैं जबकि रोहनिया से विधायक अनुप्रिया पटेल की पार्टी अपना दल ने भाजपा के साथ चुनावों के लिए गठबंधन किया है। अनुप्रिया मिर्जापुर से लोकसभा चुनाव लड़ रही हैं।

आंकड़ों की बात करें तो वाराणसी में इस बार 42 प्रत्याशी किस्मत आजमा रहे हैं जिसमें सपा, बसपा और तृणमूल कांग्रेस जैसी पार्टियों और 20 निर्दलीय उम्मीदवार शामिल हैं।

सपा और बसपा के उम्मीदवारों क्रमश: कैलाश नाथ चौरसिया और विजय प्रकाश जायसवाल को अपने पारंपरिक वोट हासिल करने की उम्मीद है। तृणमूल की उम्मीदवार इंदिरा तिवारी की नजरें यहां की बंगाली जनसंख्या की वोटों पर है, क्योंकि उनका पूर्व कांग्रेसी नेता और सांसद कमलापति त्रिपाठी के परिवार से संबंध है। (भाषा)

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