प्रेमचंद पर अपना उत्साहित भाषण देते हुए प्रोफेसर रिपुसूदन सिंह ने कहा कि मुंशी प्रेमचंद ने साहित्य सृजन करते हुए भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन, प्रोग्रेसिव आंदोलन और गांव के लोगों की समस्याओं को उजागर किया और एक आदर्श स्थापित किया। उन्होंने अपनी गरीबी के बावजूद लेखन से समझौता नहीं किया।
नार्वेजीय लेखकों में इंगेर मारिये लिल्लेएंगेन, नूरी रोयसेग के अलावा राज कुमार, मीना मुरलीधरन, कैलाश राय, नोशीन इकबाल, इन्दर खोसला, संगीता शुक्ला, माया भारती और भारतीय दूतावास से एन पुनप्पन जी ने अपने विचार रखे और शुभकामनाएं दीं। कार्यक्रम का आयोजन भारतीय-नार्वेजीय सूचना एवं सांस्कृतिक फोरम की ओर से किया गया था।