लंदन की जनसंख्या वृद्धि में भारतीयों की बड़ी हिस्सेदारी

लंदन। ब्रिटेन में विदेशी मूल के लंदनवासियों का एक बहुत बड़ा हिस्सा भारतीयों का है। विदेशी मूल के लोगों की वजह से यहां की जनसंख्या तेजी से बढ़ रही है तथा संभावना है कि 2031 तक यहां के करीब आधे नागरिक विदेशी मूल के होंगे।

वर्ष 1971 और 2011 के बीच पश्चिम एशिया और एशिया मूल के लंदनवासियों की संख्या में पांच गुना का इजाफा हुआ और यह 1,80,000 से बढ़कर 9,70,000 हो गई है और इस वृद्धि में भी भारत में जन्मे लंदनवासियों की संख्या करीब 1,55,000 है।
 
इस जनसंख्या वृद्धि में अफ्रीकी मूल के लोग सबसे आगे हैं। अफ्रीका मूल के लंदनवासियों की संख्या 90,000 से सात गुना बढ़कर करीब 6,20,000 हो गई है।
 
केवल नाईजीरिया मूल के लोग करीब 1,00,000 वृद्धि के लिए जिम्मेदार हैं।
 
‘द टाइम्स’ के जनगणना आंकड़े के विश्लेषण से पता चलता है कि 1971 से लंदन में आव्रजन जनसंख्या दोगुना से ज्यादा हो गई है और अगले 16 सालों में यह जनसंख्या राजधानी की कुल जनसंख्या के आधे से अधिक होने की राह पर है।
 
वर्ष 2011 की स्थिति यह थी कि विदेशी मूल के करीब 30 लाख लंदनवासियों में 40 फीसदी यूरोप से थे, 30 फीसदी पश्चिम एशिया, 20 फीसदी अफ्रीका से और 10 फीसदी अमेरिका या कैरिबियाई क्षेत्र से थे। वर्ष 2031 में ऐसे लोगों की संख्या 50 लाख से अधिक हो जाएगी और राजधानी की कुल जनसंख्या एक करोड़ को पार कर जाएगी।
 
अध्ययन के अनुसार इस जनसंख्या वृद्धि की वजह विदेशी मूल के लोगों का बड़े पैमाने पर प्रवास है न कि ब्रिटिशों का राजधानी की ओर पलायन करना।

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