साथ ले चल ऐ मन तरंगों में झनझनाती ये उम्मीदों की दोपहरी जहां जाकर के ख़ुद को भुलाना है
देखे थे ख़्वाबों में जो मंजर ख़ुशी के
उस ख़ुशी को आज जाकर गले से लगाना है
अब ना याद कर आहत दिल के आंसू
क्योंकि अब तो दिया, ज़िंदगी ने हंसने का बहाना है
नन्ही-सी प्यारी-सी परी मिली है मुझको, जिसे गले से लगाके खूब बतियाना है,
तू ख़ुशियां ही पाना माता रानी से ये ही दुआ मांगू मैं
तुझे देखूं तो मेरी ख़ुशी का ना कोई ठिकाना है
ना जाने क्यूं बेटी को लोग समझते है भार? बेटी तो सिर्फ़ और सिर्फ़ ख़ुशियों का ख़ज़ाना है,
ना करना हत्या, इन्हें दूर करके ना करना पाप, कन्या के भ्रूण हत्या का, ना कहना कभी पराया धन उसे
अरे बेटी ही तो एक है जिनसे ये जमाना है
बिन बेटी के संसार ही रुक जाएगा फिर बेटों पर आपको क्यों इतना इतराना है?