या जब-जब करूं मातृभूमि माई भक्ति तेरी
एक खुमारी सी मन में छा जाती है
मेरी मां तेरी गरिमा को हम बच्चे तेरे शीश नवाते हैं,
वो हिला वो कंचनजंगा का तरीका ने किया विस्तार तुझमें
जिसे देख-देख फूले न समाएं, हम सब बच्चे तेरे
तुझमें सृष्टि की सुगंध समाई, नाज़ करते हैं हम तुझपे
विश्व में जो कहीं नहीं वो ज्ञान भंडार भरे हैं तुझमें।
धर्म, ज्ञान विज्ञान या संस्कार सभी तो तुझसे ही मिलते हैं हमें।
कभी मनाएं आजादी का दिन, कभी गणतंत्र दिवस के झंडे फहराएं
कर प्रणाम प्यारे तिरंगे को, हम भारतवासी सदा ही नतमस्तक हो जाएं।
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