महिला दिवस पर कविता : नारी शक्ति का दिन है...

आज महिला दिवस है, नारी शक्ति का दिन है, 
 

 
 
शक्ति जो दुनिया को आप में दिखाई देती है, 
मेरी नजर से देखें तो मुझे आप में दिखाई देता है समर्पण, 
समर्पण प्यार का, समर्पण दुलार का, समर्पण सेवा का, 
करुणा, दया, संरक्षण, परवाह, सादगी दूजे नाम हैं आपके, 
आपका स्पर्श जीवन में विश्वास जगाता है, 
मन को चंदन और कर्म को पानी बनाता है, 
आपका वेग तपते मन को ठंडी बौछारों से भिगोता है,
 
कठिन राह से थकी रगों में नया रक्त दौड़ने लगता है,
अंधेरों में सिमटी जिंदगियों को आप योद्धा बनाते हैं, 
नई राहें दिखाते हैं, सींचते हैं, निखारते हैं,
हम ऋणी हैं आपके प्यार के, 
हम कर्जदार हैं आपके दुलार के, 
हम आभारी हैं आपके समर्पण के, 
आज नारी शक्ति का दिन है, 
धन्यवाद है हर नारी का इस संसार में, 
 
हर रूप में मां, बहन, बेटी, पत्नी, सखा, प्रेमिका, शिक्षिका और कई-कई रूप, 
नारी जो स्वच्छ बहता पानी है, जो हर रूप में, हर स्थिति में ढल जाती है, 
जिसके बिना जीवन अधूरा है, प्यासा है, 
नारी जिससे यह सृष्टि तृप्त होती है, जो जीवन आधार है, 
संसार में भगवान का भेजा हुआ साक्षात रूप है नारी, 
प्रकृति का दूजा नाम जिसे देवों ने भी सर्वस्व स्थान दिया है, 
शक्ति का मान, नारी क्यों आज तरसे है अपने ही सम्मान को?
 
स्वयं को पहचान, तुझ में शक्ति अपार है, 
स्वयं को नमन कर और आगे बढ़ चल, 
ठोकर मार उसे जो तेरा सम्मान करना न जाने, 
बढ़ चल, बढ़ चल, नई राहें तेरा रस्ता तके हैं, 
तेरे आंचल में हैं अपार खुशियां, 
आज नारी शक्ति का दिन है।

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