कल्पना कोकिला

- देवी नागरान
GN


- भारतेन्दु श्रीवास्तव
1935 में बाँदा, उत्तरप्रदेश में जन्म। बीएसएसी, एमएससी टेक्नालॉजी, प्रयाग विवि से एवं सस्कैचवान विवि कनाडा से भौतिकी में पीएचडी। संप्रति- रिटायर्ड मौसम विज्ञानी, कैनाडी केंद्रीय सरकार।

कल्पना कोकिला कितना कुहू-कुहू करती?
वन अरु उपवन सघन निर्जन गगन में उड़ती
संपूर्ण ब्रह्मांड इसके विचरण की है धरती
सीमोल्लंघन कर उसके बाहर भी फुदकती
प्रचलित अग्नि ज्वाला में कूद बहुत जलवाती
मेघ बन सावन का बरसाती अरु बरसवाती

GN
प्रिये स्पर्थ किए बिना आलिंगन कर लेती
बिन लिए कुछ भी यह क्या-क्या नहीं दे देती
स्वप्न रूप दर्पण दर्शित यह क्या न करवाती?
जाग्रति में कवि हृदय सरस्वती गृह बनवाती
प्रकृति है उसकी सदैव उड़ती और उड़वाती
कवि कभी स्तब्ध कर न जाने कहाँ जा बस जाती

मधुमास में आम्रविटप पर आ विहग बनती
ग्रीष्म में लू चलाकर सबको तप्त करती
पावस में टप-टप कर बूँद कितनी बरसाती
शीतागमन पर यह हिमपात अतिशय कराती
प्रेमगान से कोयल किसको नहीं पुलकित करती
पंख फैला देशकाल का अतिक्रमण भी करती

भाषा इसे पिंजड़े में न बंद कर सकती
कवि को उड़ा-उड़ाकर गिरा दे फिर स्वयं उड़ती
भारतेंदु सहचरी बन यह सब जगह विचरती
कवि उर नीड़ में निज अंड रखकर फुर्र करती
अमूल्य निधि मानव जाति के पशु से विलग करती
ईश्वरीय लोक में विहार को सहायक बनाती।

कल्पना कोकिला कितना कुहू-कुहू करती?
वन अरु उपवन सघन निर्जन गगन में उड़ती।

- गर्भनाल से साभार