माँ लोरी गा मैं सो जाऊँ उन यादों में खो जाऊँ जिसमें सपने सच्चे थे माँ हम कितने अच्छे थे माथे पर काला टीका बिन उसके बचपन फीका नजर कहीं न लग जाएँ तेरा यही सलीका था माथा फिर सहला दे माँ चैन भरा जीवन पाऊँ लोरी गा मैं सो जाऊँ
गलती जितनी बार करूँ उतना ही हर बार डरूँ गुस्सा तेरा सह जाऊँ तुझसे लिपट-लिपट जाऊँ मैं न कहीं भटक जाऊँ लोरी गा मैं सो जाऊँ
माँ मैं तब से भूखा हूँ जबसे तुझसे रूठा हूँ सब कुछ मेरे पास मगर कुछ खाली कुछ टूटा हूँ फिर एक बार खिला दे माँ भूखा कहीं न रह जाऊँ लोरी गा मैं सो जाऊँ
मुझको नींद नहीं आती माँ मुझको डर लगता है सालों साल नहीं सोया सूरज रोज निकलता है थपकी मुझे लगा दे माँ मैं सुकून से सो जाऊँ लोरी गा मैं सो जाऊँ