कि कुछ प्रेम
सिर्फ होने के लिए होते हैं,
मिलने के लिए नहीं।
मैंने तुम्हें बांधने की कोशिश नहीं की
दर्द कोई शिकायत नहीं रहा अब,
वह तो बस
एक आदत सी बन गई है
तुम्हारी अनुपस्थिति की गंध में
पर किनारों से कभी कुछ न कहा।
बस हर बार
जब तुम्हारा नाम भीतर गूंजा,
मैं टूट कर मुस्कराया