उन्होंने कहा, ‘यह बहुत सम्मान की बात है और मुझे इस बात की खुशी है कि मैं गीता पर हाथ रखकर निष्ठा की शपथ लेने वाला पहला ऑस्ट्रेलियाई राजेनता बनने जा रहा हूं।’ मुखी ने कहा कि गीता, बाइबल और कुरान की तरह विश्व के महान धार्मिक ग्रंथों में से एक है। उन्होंने कहा कि वह इस मुकाम पर इसलिए पहुंचे हैं क्योंकि ऑस्ट्रेलिया मेरे माता-पिता जैसे लोगों के योगदान का स्वागत करता है।
मुखी के माता-पिता 1973 में पंजाब से ऑस्ट्रेलिया आए थे।
ब्लैकटाउन में जन्मे मुखी के पास यूनिवर्सिटी की तीन डिग्रियां हैं और वह इस समय संघों, चैरिटी और सामुदायिक समूहों के सलाहकार के तौर पर काम कर रहे हैं। (भाषा)