जब कभी भी आप अमेरिका के बारे में सोचते हैं तो आपकी नजरों के सामने बरबस ही न्यूयॉर्क की गगनचुम्बी, इमारतें, स्टेच्यू ऑफ लिबर्टी, टाइम स्क्वायर और शहर की व्यस्त सड़कें आ जाती हैं। जो लोग भारत में रहते हैं, उनका सोचना होता है कि जो भी भारतीय यहां रहता है, वह धन-संपत्ति और ऐशोआराम में डूबा रहता और उसका अपने देश की संस्कृति से नाता ही टूट जाता है। लेकिन न्यूयॉर्क, न्यूजर्सी क्षेत्र के बारे में कुछ तथ्यों को जानकर आप हैरान रह जाएंगे।
आपको पता है कि यहां के अनुकूल बनने के लिए आपकी सबसे बड़ी जरूरत क्या है? आपको गुजराती आनी चाहिए। अंग्रेजी या अमेरिकन लहजे वाली अंग्रेजी से बहुत मदद मिलती है लेकिन अगर शहर के प्रवेश द्वार पर हों, टैक्सी ड्राइवर से, किराना की दुकान पर या बैंक ऑफ अमेरिका में हों, आपको गुजराती तो निश्चित ही आनी चाहिए। यहां जनसंख्या का दूसरा बड़ा भाग तेलुगू बोलता है और इनमें से ज्यादातर दक्षिण भारतीय समुदायों के लोग शामिल हैं। समुदाय का सबसे बड़ा हब ब्रिज वाटर का वेंकटेश मंदिर है जहां 10 फीट लम्बे वेंकटेश विराजते हैं।
आपको यहां आसानी से साईं मंदिर, दुर्गा मंदिर, श्रीकृष्ण मंदिर, राम मंदिर मिल सकते हैं और प्रत्येक धार्मिक स्थल भारतीय समुदाय के लोगों, उनके बच्चों की सांस्कृतिक गतिविधियों का केन्द्र है। लोगों के संघों की वजह से यहां भारत का सांस्कृतिक वैभव सुरक्षित है। यहां बच्चों को नृत्य और संगीत सिखाने के लिए पंडित जसराज, सुरेश वाडेकर और अर्चना जोगलेकर जैसे दिग्गजों से शिक्षा मिलती है। भारतीय बच्चे संस्कृत सीखते हैं तो मलखम्ब का भी अभ्यास करते हैं। यहां आप पुणे के कोळी परिवार से मिल सकते हैं।
टीसीएस में डिलिवरी मैनेजर का काम करने वाले अनिकेत कोळी (39) एक बड़ी आईटी कंपनी में डिलिवरी मैनेजर और बिग डेटा प्रैक्टिस हेड हैं लेकिन अपनेे निजी जीवन में वे किसी योगी से कम नहीं। उनका दिन साढ़े पांच बजे से शुरू होता है, नियमित योग और ध्यान कर उपनिषदों का पाठ करते हैं। परिवार में रात्रिभोज से पहले भोजन मंत्र अनिवार्य है। उनका 14 वर्षीय बेटा अवधूत संध्या वंदन करता है। की बोर्ड, तबला और बांसुरी बजाना उसके शौक हैं। सप्ताहांत में वह योग और मलखम्ब का अभ्यास करता है। परिवार की छोटी सदस्य अन्वी (8) कर्नाटक संगीत का अभ्यास करती है और सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भरतनाट्यम करती है।
श्रीमती कोळी संस्कृत स्कॉलर हैं और सप्ताहांत में न्यूजर्सी के विभिन्न सांस्कृतिक केंद्रों में संस्कृत पढ़ाती हैं। अंग्रेजी में बातचीत केवल पेशेवर जीवन तक सीमित है। उनकी मातृभाषा मराठी है और वे हमेशा ही 'इंडिया' के स्थान पर 'भारत' शब्द का प्रयोग करती हैं। श्रीमती कोळी संस्कृत के प्रचार-प्रसार को लेकर बहुत गंभीर हैं और वे इसे मातृभाषा के तौर पर स्थापित करना चाहती हैं। संस्कृत को लोकप्रिय और बोलचाल की भाषा बनाने के लिए वे (गैरलाभकारी संगठन) संस्कृत भारती के सभी कार्यक्रमों में उत्साह से भाग लेती हैं। वे कुछ बहुत लोकप्रिय अंग्रेजी पुस्तकों का हिंदी, मराठी में अनुवाद करना चाहती हैं।
यह अकेला मराठी परिवार नहीं है वरन समूचे क्षेत्र में आपको भारतीयता के बहुत सारे उदाहरण मिलते हैं। इसके लिए आर्ट ऑफ लिविंग, चिन्मय मिशन, सहज योग, रामकृष्ण मिशन, एसआरएफ, ईशा फाउंडेशन जैसी संस्थाओं को श्रेय दिया जा सकता है। वास्तव में, भारत में विदेशियों और अमेरिका में भारतीयों के सम्पर्क में आने पर हम भावविभोर हो जाते हैं और ऐसे में तब यह कहना मुश्किल होगा कि कौन अपनी जड़ों से दूर जा रहे हैं, भारत में इंडियन या यूएसए में भारतीय?