ओबामा प्रशासन बेलआउट पैकेज पाने वाली कंपनियों के शीर्ष अधिकारियों के वेतन पैकेज को 5,00,000 डॉलर तक सीमित करने पर विचार कर रहा है। यानी यह प्रतिबंध लागू हो जाने के बाद किसी भी अधिकारी को साल के दौरान 5,00,000 डॉलर से ज्यादा का वेतन पैकेज नहीं मिल सकेगा।
न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, कंपनी के अधिकारियों पर बोनस लेने की भी रोक लगेगी। अलबत्ता वे शेयर लाभांश को ले सकेंगे। रिपोर्ट में कहा गया है कि ये नए नियम बुश के कार्यकाल में लगाए गए प्रतिबंधों से भी ज्यादा कड़े होंगे और ऐसे में बहुत से कंपनी प्रमुख को वर्तमान में जो वेतन मिल रहा है, उससे काफी कम पर संतुष्ट होना पड़ेगा।
रिपोर्ट में कहा गया है कि इन नए प्रतिबंधों के बारे में स्थिति अभी पूरी तरह स्पष्ट नहीं है। अभी यह तय नहीं है कि क्या ये प्रतिबंध उन सभी कंपनियों पर लागू होंगे, जिन्हें ट्रबल्ड एसेट रिलीफ प्रोग्राम के तहत धन मिला है, या सिर्फ उन्हीं कुछ कंपनियों के लिए होंगे, जिन्हें धराशायी होने से बचाने के लिए राहत पैकेज दिया गया है।
रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिका के 700 अरब डॉलर के राहत पैकेज के तहत अभी तक जिन भी कंपनियों को धन दिया गया है, उनकी सेहत कमोबेश अच्छी थी और वे ढहने की स्थिति में नहीं थीं। किंतु सहायता पाने वाली 5 प्रमुख कंपनियाँ - सिटीग्रुप, बैंक ऑफ अमेरिका, अमेरिकन इंटरनेशनल ग्रुप, जनरल मोटर्स और क्राइसलर की स्थिति अच्छी नहीं है और इन कंपनियों के शीर्ष अधिकारियों ने हाल के वर्षों के दौरान सालाना 5 लाख डॉलर से कहीं का वेतन पैकेज पाया है।
अखबार के अनुसार बैंक ऑफ अमेरिका के मुख्य कार्यकारी केनेथ डी लुइस को 2007 में 2 करोड़ डॉलर से ज्यादा का पैकेज दिया गया। इनमें से 57.5 लाख डॉलर का पैकेज वेतन और बोनस के रूप में था। दिसंबर, 2007 में सिटीग्रुप के मुख्य कार्यकारी का पद संभालने वाले विक्रम पंडित को बैंक से 31 लाख डॉलर का पैकेज मिला था। जनरल मोटर्स के मुख्य कार्यकारी रिचर्ड वैगनर का पैकेज 1.44 करोड़ डॉलर था।