पौराणिक शास्त्रों में पूर्णिमा तिथि का बहुत अधिक महत्व माना गया है। वैशाख पूर्णिमा के दिन ही भगवान श्री विष्णु के नौवें अवतार भगवान बुद्ध का जन्म हुआ था। इस दिन को बुद्ध पूर्णिमा या बुद्ध जयंती के नाम से भी जाना जाता है। हिंदू धर्म में पूर्णिमा तिथि को बेहद ही शुभ माना जाता है। इस दिन स्नान-दान का भी बहुत अधिक महत्व होता है।
पूर्णिमा के दिन श्री हरि विष्णु, धन की देवी माता लक्ष्मी, चंद्र देव, भोलेनाथ और श्री कृष्ण की आराधना करने का विशेष महत्व है। पूर्णिमा के दिन चंद्र की शुभ्र किरणें जब आपके घर के आंगन में बिखरेंगी तब खुशियां बरसेगी और मिलेगा सभी देवताओं का शुभ आशीष। आइए जानें मंत्र-
3. पूर्णिमा पर भगवान शिव की इस मंत्र से पूजा करें-
शिवलिंग का जल स्नान कराने के बाद पंचोपचार पूजा यानी सफेद चंदन, अक्षत, बिल्वपत्र, आंकडे के फूल व मिठाई का भोग लगाकर इस आसान शिव मंत्र का ध्यान कर जीवन में शुभ-लाभ की कामना करें।
यह शिव मंत्र मृत्यु भय, दरिद्रता व हानि से रक्षा करने वाला माना गया है-
पंचवक्त्र: कराग्रै: स्वैर्दशभिश्चैव धारयन्।
अभयं प्रसादं शक्तिं शूलं खट्वाङ्गमीश्वर:।।
दक्षै: करैर्वामकैश्च भुजंग चाक्षसूत्रकम्।
डमरुकं नीलोत्पलं बीजपूरकमुक्तमम्।।
4. गोपीकृष्ण मंत्र-
कहते हैं पूर्णिमा की रात भगवान श्री कृष्ण ने गोपियों संग रास रचाया था। इसमें हर गोपी के साथ एक कृष्ण नाच रहे थे। गोपियों को लगता रहा कि कान्हा बस उनके साथ ही थिरक रहे हैं। अत: इस रात गोपीकृष्ण मंत्र का पाठ करने का महत्व है।