कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की इच्छा (आंवला) नवमी 17 नवंबर को मनाई जाएगी। इस पर्व पर पूर्ण श्रद्धा और विश्वास के साथ आंवले के वृक्ष के नीचे भोजन करने से मनचाही इच्छा पूरी होती है। इस बार इच्छा नवमी पर सिद्धि योग, आनंद योग के साथ रवि योग का विशेष संयोग है।
इस दिन आंवले के वृक्ष को दूध चढ़ाना फलदायी माना जाता है। इससे सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। त्रेता युग का आरंभ इसी दिन हुआ था। इस दिन दान, व्रत व भगवान विष्णु के स्वरूप आंवला के वृक्ष की पूजा करने का विधान है।
विष्णु पुराण में आंवले के वृक्ष में भगवान विष्णु और शिव का वास बताया गया है। जिनकी कुंडली में सूर्य ग्रह पीड़ित है अथवा सूर्य कमजोर या सूर्य शत्रु राशि में रहता है उन जातकों को आंवले के पेड़ के नीचे 10 दिन तक भगवान विष्णु को दीपक जलाना चाहिए। इससे दोषों से मुक्ति मिलती है।
चरक संहिता में बताया गया है अक्षय नवमी को महर्षि च्यवन ने आंवला खाया था जिस से उन्हें पुन: जवानी अर्थात नवयौवन प्राप्त हुआ था। आप भी आज के दिन यह उपाय करके नवयौवन प्राप्त कर सकते हैं। शास्त्र कहते हैं आंवले का रस हर रोज पीने से पुण्यों में बढ़ोतरी होती है और पाप नष्ट होते हैं।
विशेष: आंवले खाने के 2 घंटे बाद तक दूध नहीं पीना चाहिए।
यह है पूजा का शुभ मुहूर्त
आंवला नवमी पर पूजा का शुभ मुहूर्त
सुबह 6.45 से 11.54 बजे तकरहेगा।
जिन दंपतियों का वैवाहिक जीवन कष्ट पूर्ण चल रहा हो, वह इस दिन प्रभु श्री कृष्ण को माखन-मिश्री का भोग लगाएं। आर्थिक संकटों और कर्ज से मुक्ति पाने के लिए भगवान विष्णु को हलवे का भोग लगाना चाहिए। इस दिन तुलसी विवाह की तैयारियां करने से परिवार में समस्त सुखों की प्राप्ति होती है।