कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को आमला (आंवला) नवमी (आंवला वृक्ष की पूजा परिक्रमा), आरोग्य नवमी, अक्षय नवमी, कूष्मांड नवमी के नाम से जाना जाता है। इस साल यह पर्व 17 नवंबर को मनाया जा रहा है।
पुराणों के अनुसार अक्षय नवमी पर जो भी पुण्य किया जाता है उसका फल कई जन्मों तक समाप्त नहीं होता। इस दिन दान, पूजा, भक्ति, सेवा जहां तक संभव हो व अपनी सामर्थ्य अनुसार अवश्य करें। उसी तरह यदि आप शास्त्रों के विरुद्ध कोई काम करते हैं तो उसका पाप भी कई जन्मों तक किसी न किसी रूप में भुगतना पड़ता है। ध्यान रखें, ऐसा कोई काम न करें जिससे आपकी वजह से किसी को दुख पहुंचे।
अक्षय नवमी के अवसर पर आंवले के पेड़ की पूजा करने का विधान है। कहते हैं इस दिन भगवान विष्णु एवं शिव जी यहां आकर निवास करते हैं। आज के दिन स्नान, पूजन, तर्पण तथा अन्नदान करने का बहुत महत्व होता है।
इसकी छाया में पहले ब्राह्मणों को भोजन करवाएं फिर स्वयं करें।
पुराणों के अनुसार भोजन करते वक्त थाली में आंवले का पत्ता गिर जाए तो आपके भविष्य के लिए यह मंगलसूचना का संकेत है। आने वाला साल सेहत के लिए तंदरूस्ती भरा होगा।
आंवले के पेड़ के नीचे भोजन करने की प्रथा का आरंभ देवी लक्ष्मी ने किया था।
आंवले की पूजा अथवा उसके नीचे बैठकर भोजन खाना संभव न हो तो आंवला जरूर खाएं।