भाद्रपद मास की पूर्णिमा से श्राद्ध पक्ष प्रारंभ हो जाते हैं। इस दिन स्नान, दान और श्राद्ध कर्म का बहुत महत्व रहता है। भाद्रपद पूर्णिमा के दिन भगवान सत्यनारायण की पूजा होती है। साथ ही इस दिन उमा-महेश्वर व्रत भी रखा जाता है। इस दिन से पितृपक्ष प्रारंभ हो जाते हैं जिसमें पूर्णिमा तिथि को भी शामिल किया जाता है।
पूर्णिमा का श्राद्ध : पूर्णिमा को मृत्यु प्राप्त जातकों का श्राद्ध केवल भाद्रपद शुक्ल पूर्णिमा अथवा आश्विन कृष्ण अमावस्या को किया जाता है। इसे प्रोष्ठपदी पूर्णिमा भी कहा जाता हैं। हालांकि कहते हैं कि यदि किसी महिला का निधन पूर्णिमा तिथि को हुआ है तो उनका श्राद्ध अष्टमी, द्वादशी या पितृमोक्ष अमावस्या के दिन भी किया जा सकता है।
पूर्णिमा तिथि :
- सितंबर 9, 2022 को शाम 06:09:31 से पूर्णिमा आरम्भ
- सितंबर 10, 2022 को दोपहर 03:30:28 पर पूर्णिमा समाप्त
- उदाया तिथि के अनुसार 10 सितंबर को पूर्णिमा मनाई जाएगी।
शुभ मुहूर्त :
अभिजित मुहूर्त : दोपहर 12:11 से 01:00 तक।
विजय मुहूर्त : दोपहर 02:39 से 03:28 तक।
सायाह्न सन्ध्या : शाम 06:46 से 07:56 तक।
अमृत काल: दोपहर 12:34 से दूसरे दिन 02:03am तक।
योग :
धृति योग- 9 सितंबर शाम 06:11 से 10 सितंबर दोपहर 02:55 तक। इसके बाद शूल योग।
पंचक : पूरे दिन
भाद्र पूर्णिमा पर कैसे करें पूजा :
- इस दिन भगवान सत्यनारायण, उमा-महेश्वर, चंद्रदेव और पितृदेव की पूजा होती है।
- प्रात:काल स्नान आदि से निवृत्त होकर व्रत का संकल्प लें।
- भगवान सत्यनारायण की पूजा के लिए पूजा सामग्री एकत्रित करें।
- एक पाट पर लाल वस्त्र बिछाकर उस पर कलश और सत्यनाराण भगवान का चित्र स्थापित करें।
- स्थान, कलश और चित्र को गंगाजल से पवित्र करने के बाद धूप-दीप प्रज्वलित करें।
- कलश स्थापित करने के पहले उसके नीचे कुछ अक्षत रखें। कलश में जल भरें, आम के 5 पत्ते रखें और उस पर नारिलय रखकर कलश पर मौली बांधें।
- अब पहले कलश पूजा करें। कलश पूजा के बाद सत्यनारायण भगवान की षोडषोपचार पूजा करें। उन्हें नैवेद्य व फल-फूल अर्पित करें।
- पूजन के बाद भगवान सत्यनारायण की कथा सुनें।
- इसके बाद पंचामृत और चूरमे का प्रसाद वितरित करें।
- इस दिन किसी जरुरतमंद व्यक्ति या ब्राह्मण को दान देना चाहिए।