2. छठ पूजा व्यक्तिगत श्रद्धा, भक्ति और उमंग का तो पर्व है लेकिन हमारे पूर्वजों ने छठ पूजा के साथ महत्वपूर्ण चीज जोड़ी है, जिसके लिए मुझे बड़ा गर्व होता है- कितना ही पान खाने का शौक हो लेकिन छठ पूजा के दिन कोई कही गंदगी नहीं करता है। इतना सफाई का आग्रह रहता है कि चारों तरफ स्वच्छता का माहौल होता है और यह अपने आप में बहुत बड़े संस्कार हैं।
4. बिहारी और गुजराती के बीच दीवार नहीं होनी चाहिए। आप भी भारत माता के बेटे हैं और हम भी भारत माता के बेटे हैं। क्या मां के दूध में दरार हो सकती है और हम इसी मां के दूध को पीकर बड़े हुए है, जिसमे दरार नहीं हो सकती है। गुजरात में बिहार के लोग बहुत रहते हैं। जो सूर्य के हर रूप की पूजा करते हैं। वो सूर्य पुत्री तापी के पास ज्यादा रहते हैं। इसीलिए आपका और हमारा नाता बड़ा अटूट है।
छठ पर्व का महत्व
हिन्दू धर्म में छठ पर्व का बहुत महत्व है। यह पर्व कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी से आरंभ होकर सप्तमी तक चलता है। पहले दिन यानि चतुर्थी तिथि को नहाय-खाय के रूप में मनाया जाता है। दूसरे दिन यानि पंचमी को खरना व्रत किया जाता है। इस दिन शाम के समय व्रत करने वाले खीर और गुड़ के अलावा फल का सेवन करते हैं। इसके बाद अगले 36 घंटे तक निर्जला व्रत रखा जाता है। माना जाता है कि खरना पूजन से छठ देवी प्रसन्न होती है और घर में वास करती हैं। इसके बाद षष्ठी को किसी नदी या जलाशय के में उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ ही इस महापर्व का समापन होता है।