नहाय-खाय से लेकर उगते हुए भगवान सूर्य को अर्घ्य देने तक चलने वाले इस पर्व का अपना एक ऐतिहासिक महत्व है। छठ पूजा के दौरान लोग उपवास रखकर ब्रह्मा जी की मानस कन्या छठ देवी की पूजा करते हैं। इस दौरान व्रती नदी या तालाब में कमर तक के पानी में खड़े होकर उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देकर अपना व्रत पूरा करते हैं।
-कदुआ भात से होती है पूजा की शुरुआत,
खरना के दिन खाते हैं खीर में गुड़ और भात।
सांझ का अर्घ्य करता है, जीवन में शुभ शुरुआत
सुबह के अर्घ्य के साथ, पूरी हो आपकी हर मुराद ..
आगे कोई भूल न हो, मां से ऐसा आशीर्वाद ले लें।
हर अच्छी इच्छा सबकी मां पूरी करके जाए