करने, अच्छी शिक्षा ग्रहण तथा संस्कार प्राप्त करने, शिक्षकों को सम्मान देने और उनके प्रति आभार व्यक्त करने के लिए मनाया जाता है।
* तत्पश्चात दसों दिशाओं में अक्षत छोड़ना चाहिए।
* फिर व्यासजी, ब्रह्माजी, शुकदेवजी और शंकराचार्यजी के नाम, मंत्र से पूजा का आवाहन करना चाहिए।