श्रेष्ठ पति की कामना और पति की लंबी आयु के लिए कुंवारी कन्या और सौभाग्यवती स्त्रियां हरतालिका तीज का व्रत रखती हैं और भगवान शिव व माता पार्वती की पूजा-अर्चना कर आशीर्वाद प्राप्त करती हैं। इस बार तीज का पर्व शुभ व सुखद संयोग लेकर आया है। तृतीया तिथि 24 तारीख को सुबह 5:45 बजे से लग जाएगी इसलिए व्रत रखने वाली महिलाएं और लड़कियां इससे पहले ही सरगी कर लें। सरगी यानी व्रत लेने की प्रक्रिया। यह व्रत ककड़ी के सेवन से लिया जाता है और ककड़ी के सेवन से ही खोला जाता है।
पूजा करने का सही मुहूर्त
प्रात:काल हरतालिका तीज- सुबह 05:45 से सुबह 08:18 बजे तक
प्रदोषकाल हरतालिका तीज- शाम 6:30 बजे से रात 08:27 बजे तक
पूजा का वक्त- 1 घंटा 56 मिनट
भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की तृतीया को हरतालिका तीज मनाई जाती है। दरअसल भाद्रपद की शुक्ल तृतीया को हस्त नक्षत्र में भगवान शिव और माता पार्वती के पूजन का विशेष महत्व है। हरतालिका तीज व्रत कुमारी और सौभाग्यवती स्त्रियां करती हैं। हरतालिका तीज व्रत निराहार और निर्जला किया जाता है। इस व्रत को सबसे पहले माता पार्वती ने भगवान शंकर को पति के रूप में पाने के लिए किया था। हरतालिका तीज व्रत करने से महिलाओं को सौभाग्य की प्राप्ति होती है।