1. इस दिन प्रात: काल स्नान करके आराध्य देव को सुंदर वस्त्राभूषणों से सुशोभित करके आह्वान, आसन, आचमन, वस्त्र, गंध, अक्षत, पुष्प, धूप, दीप नैवेद्य, ताम्बूल, सुपारी, दक्षिणा आदि से उनका पूजन करना चाहिए।
4. पूर्णिमा का व्रत करके कथा सुनें। कथा सुनने से पहले एक लोटे में जल और गिलास में गेहूं, पत्ते के दोनों में रोली और चावल रखकर कलश की वंदना करके दक्षिणा चढ़ाएं। फिर तिलक करने के बाद गेहूं के 13 दाने हाथ में लेकर कथा सुनें, फिर गेहूं का गिलास उन्हें दे दें। लोटे के जल का रात को चंद्रमा को अर्घ्य दें।
7. शरद पूर्णिमा का चांद सेहत के लिए काफी फायदेमंद है। इसका चांदनी से पित्त, प्यास और दाह दूर हो जाते हैं। दशहरे से शरद पूर्णिमा तक रोज रात में 15 से 20 मिनट तक चांदनी का सेवन करना चाहिए। यह काफी फायदेमंद है।