कजरी तीज पर्व इस वर्ष 25 अगस्त 2021 बुधवार को मनाया जाएगा। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार रक्षाबंधन के 3 दिन बाद और कृष्ण जन्माष्टमी से 5 दिन पहले जो तीज आती है उसे सातुड़ी तीज, कजली तीज, भादौ तीज, बूढ़ी तीज के रूप में मनाया जाता है। बुधवार को यह व्रत धृति योग में रखा जाएगा।
1. भाद्रपद की तृतीया तिथि को कजरी तीज कहते हैं। इसे भादौ तीज भी कहा जाता है। इसे बूढ़ी तीज, कजली तीज, सातूड़ी तीज के नाम से भी जाना जाता है।
7. कजरी पूजा के समय माता गौरी को सुहाग के 16 सामग्री अर्पित किए जाते हैं, वहीं भगवान शिव को बेल पत्र, गाय का दूध, गंगा जल, धतूरा, भांग आदि चढ़ाती हैं। फिर धूप और दीप आदि जलाकर आरती करती हैं और शिव-गौरी की कथा सुनती हैं।
9. कजरी तीज के दिन जौ, गेहूं, चने और चावल के सत्तू में घी और मेवा मिलाकर तरह-तरह के पकवान बनाए जाते हैं। उन्हीं से पारण किया जाता है।