हिन्दू धर्म के अनुसार हर माह आने वाली कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मासिक कालाष्टमी (Kalashtami) पर्व के रूप में मनाया जाता है। इस दिन इसे कालाष्टमी कहने का प्रमुख कारण यह है कि इस तिथि के दिन भगवान काल भैरव प्रकट हुए थे।
काल भैरव शिव जी के गण के रूप में जाने जाते हैं, और दुर्गा के अनुचारी माने गए हैं। अत: हर माह की अष्टमी तिथि भगवान भैरव को समर्पित होने के कारण इसे काला अष्टमी भी कहा जाता है। पुराणों के अनुसार भैरव कलियुग के जागृत देवता हैं। इस बार कालाष्टमी 12 मई 2023, शुक्रवार को मनाई जा रही है।
कालाष्टमी पर क्या करें :
- कालाष्टमी के दिन ब्रह्म मुहूर्त में नित्य क्रियाओं से निवृत्त होकर स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण कर लें।
- लकड़ी के पटिये पर सबसे पहले शिव और पार्वती जी का चित्र स्थापित करके फिर काल भैरव के चित्र को स्थापित करें।
- आचमन करके भगवान को गुलाब का हार पहनाएं अथवा चमेली के पुष्प चढ़ाएं।
- फिर चौमुखी दीया जलाकर गुग्गल की धूप जला दें।
- हल्दी, कुमकुम से सभी को तिलक लगाए तथा हथेली में गंगाजल लेकर व्रत का संकल्प लें।
- भगवान शिव-माता पार्वती तथा भैरव जी पूजन करके आरती करें।
- अब अपने पितरों को याद करके उनका श्राद्ध करें।
- व्रत के पूर्ण होने के बाद काले कुत्ते को मीठी रोटी या कच्चा दूध पिलाएं।
- पुन: अर्द्धरात्रि में धूप, काले तिल, दीपक, उड़द और सरसों के तेल से काल भैरव की पूजा करें।
- इस दिन व्रत रखें तथा रात में भजन-कीर्तन करके भैरव जी की महिमा गाएं।
- इस दिन शिव चालीसा, भैरव चालीसा तथा उनके मंत्रों का जाप करें।
- मंत्र- 'ॐ कालभैरवाय नम:।' का ज्यादा से ज्यादा जाप करें।
काल भैरव की पूजा कौन कर सकता है?
धार्मिक मान्यता के अनुसार वे लोग जो भगवान शिव जी के आराधक है, वे सभी काल भैरव की पूजा कर सकते हैं। यह तिथि भगवान काल भैरव से अपार शक्ति प्राप्त करने का समय मानी जाती है, अत: कालाष्टमी के दिन भैरव जी की पूजा और व्रत करने का विशेष महत्व है।
कई परिवारों में भैरव जी की पूजा कुलदेवता के रूप में भी की जाती हैं। वैसे तो आम आदमी, शनि, कालिका और काल भैरव का नाम सुनते ही घबराने लगते हैं, लेकिन सच्चे दिल से की गई इनकी आराधना आपके जीवन को बदल सकती है। इसके साथ ही कालभैरव अष्टमी पर भैरव के दर्शन करने से अशुभ कर्मों से मुक्ति मिलती है।
काल भैरव कुत्ते के साथ क्यों है?
धार्मिक शास्त्रों के अनुसार सभी देवी-देवताओं की अपनी एक सवारी होती है, जिसे उनका वाहन कहा जाता है। और काल भैरव की सवारी कुत्ता है। वह भैरव जी के पास उनके दिव्य वाहन के रूप में उपस्थित है।
वैसे भैरव जी अपने वाहन कुत्ता यानी स्वान पर कभी बैठे हुए दिखाई नहीं देते, लेकिन कुत्ता एक ऐसा जीव है, जो कभी शत्रुओं से भय नहीं रखता है, दिन हो या रात वो कभी भी अपनी सीमा में किसी अन्य प्रवेश नहीं करने देता और कभी भी अपने शत्रु को नहीं भूलता। वास्तु शास्त्र में काले कुत्तों को भगवान भैरव का अवतार माना जाता है। अत: कालाष्टमी तिथि पर कुत्ते की सेवा करने से जीवन के कष्ट दूर होते हैं। भैरव जयंती तथा भैरव अष्टमी के दिन काले कुत्ते को मिष्ठान खिलाकर दूध पिलाने से भैरव जी प्रसन्न होते हैं।
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