कल्कि जयंती: भगवान विष्णु के आखिरी कल्कि अवतार से जुड़ी खास बातें

सोमवार, 21 अगस्त 2023 (12:30 IST)
Kalki Jayanti 2023: भगवान विष्णु के 24 अवतारों की श्रृंखला में 24वें और 10 अवतारों यानी दशावतार की श्रेणी में 10वें अवतार भगवान कल्कि की जयंती प्रतिवर्ष श्रावण माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाए जाने का प्रचलन है। इस बार अंग्रेजी कैलेंडर के मान से यह जयंती 22 अगस्त 2023 मंगलवार के दिन रहेगी। कल्कि नाम से एक पुराण भी है। आओ जानते हैं भगवान कल्कि के बारे में खास बातें।
 
1. कब होगा कल्कि अवतार: कल्कि पुराण के अनुसार कलयुग में भगवान विष्णु कल्कि रूप में अवतार लेंगे। मत्स्य पुराण के द्वापर और कलियुग के वर्णन में कल्कि के होने का वर्णन मिलता है। अभी उनका जन्म हुआ भी नहीं है यह किसी को पता नहीं लेकिन लोग उनकी जयंती मनाते हैं।
 
2. कहां होगा कल्कि अवतार : पुराणों में कल्कि अवतार के संभल ग्राम में जन्म लेने की भविष्यवाणी है। संभल ग्राम उत्तर प्रदेश और ओड़ीसा में है। स्कंद पुराण के दशम अध्याय में स्पष्ट वर्णित है कि कलियुग में भगवान श्रीविष्णु का अवतार श्रीकल्कि के रूप में सम्भल ग्राम में होगा।
 
3. कैसा होगा कल्कि अवतार : पुराणों में बताया गया है कि कल्कि देवदत्त नामक सफेद घोड़े पर सवार होकर आएंगे और संसार से पापियों का विनाश करेंगे और धर्म की पुन:स्थापना करेंगे। यह अवतार 64 कलाओं से युक्त होगा। अग्नि पुराण' के सौलहवें अध्याय में कल्कि अवतार का चित्रण तीर-कमान धारण किए हुए एक घुड़सवार के रूप में किया हैं और वे भविष्य में होंगे। कल्कि पुराण के अनुसार वह हाथ में चमचमाती हुई तलवार लिए सफेद घोड़े पर सवार होकर, युद्ध और विजय के लिए निकलेगा म्लेच्छों को पराजित कर सनातन राज्य स्थापित करेगा।
 
4. किसके यहां जन्म लेंगे भगवान कल्कि : विष्णुयशा नामक तपस्वी ब्राह्मण के घर भगवान कल्कि पुत्र रूप में जन्म लेंगे। 
 
5. क्या जन्म ले चुका है कल्कि अवतार : उत्तर प्रदेश में सक्रिय कल्कि वाटिका नामक संगठन का दावा है कि कल्कि अवतार के प्रकट होने का समय नजदीक आ गया है। इन लोगों का मानना है कि देवी जगत में कल्कि अवतार हो गया है। स्वप्न, जागृत और वाणी अनुभवों द्वारा वे भक्तों को संदेश दे रहे हैं। उनकी महाशक्तियां भक्तों की रक्षा के लिए इस जगत में चारों ओर फैल चुकी हैं, अब बस उनका केवल प्राकट्य शेष है। कल्कि अवतार को लेकर भ्रम और मतभेद भी मौजूद हैं। बहुतों का कहना है कि वे हो चुके हैं। बहुतों का कहना है कि उन्होंने जन्म ले लिया है और वे समय पर सामने आएंगे। असल में यह कोई नहीं जानता है कि वे कब होंगे या हो चुके हैं या अभी वर्तमान में हैं। 
 
6. हरि मंदिर : राजस्थान, मध्यप्रदेश और गुजरात की त्रिवेणी संगम स्थल राजस्थान के वांगड़ अंचल (दक्षिण में जनजाति बहुल बांसवाड़ा एवं डूंगरपुर जिले में) के डूंगरपुर जिले के साबला गांव में हरि मंदिर है जहां कल्कि अवतार की पूजा हो रही है। हरि मंदिर के गर्भगृह में श्याम रंग की अश्वारूढ़ निष्कलंक मूर्ति है, जो लाखों भक्तों की श्रद्धा और विश्वास का केंद्र है। इसके अलावा वर्तमान में भगवान कल्कि के नाम पर उत्तरप्रदेश में संभल ग्राम में एक मंदिर बना है। उनके नाम पर दिल्ली आदि क्षेत्रों में ऑडियो, वीडियो, सीडी, पुस्तक आदि साहित्य सामग्री का विकास कर प्रचार-प्रसार किया जा रहा है। कल्कि अवतार के नाम पर वर्तमान में धर्म का धंधा चल रहा है। लोगों ने मंदिर बना लिए हैं। उनके भजन, आरती और चालीसा भी बन चुके हैं। उनके नाम पर फंड भी एकत्रित किया जाता है।
 
7. क्या कल्कि हो चुके? मत्स्य पुराण के द्वापर और कलियुग के वर्णन में कल्कि के होने का वर्णन मिलता है। बंगाली कवि जयदेव (1200 ई.) और चंडीदास के अनुसार भी कल्कि अवतार की घटना हो चुकी है अतः कल्कि एक ऐतिहासिक व्यक्तित्व हो सकते हैं। जैन पुराणों में एक कल्कि नामक भारतीय सम्राट का वर्णन मिलता है। जैन विद्वान गुणभद्र नौवीं शताब्दी के उत्तरार्ध में लिखते हैं कि कल्किराज का जन्म महावीर के निर्वाण के 1 हजार वर्ष बाद हुआ। जिनसेन ‘उत्तर पुराण’ में लिखते हैं कि कल्किराज ने 40 वर्ष राज किया और 70 वर्ष की आयु में उसकी मृत्यु हुई। ऐसा कहा जाता है कि गुप्त वंश के पतन के बाद ही कल्कि का अवतार हुआ जिसने शक, कुषाण आदि को ही नहीं मार भगाया बल्कि जिसने बौद्ध और जैनों के प्रभुत्व को भी समाप्त कर दिया था। इतिहासकार केबी पाठक ने सम्राट मिहिरकुल हूण की पहचान कल्कि के रूप में की गई है। वे कहते हैं कि मिहिरकुल का दूसरा नाम कल्किराज था। 
 
8. कलयुग के अंत में बाकी है लाखों साल : पौराणिक मान्यता के अनुसार कलियुग 432000 वर्ष का है जिसका अभी प्रथम चरण ही चल रहा है। कलियुग का प्रारंभ 3102 ईसा पूर्व से हुआ था, जब पांच ग्रह; मंगल, बुध, शुक्र, बृहस्‍पति और शनि, मेष राशि पर 0 डिग्री पर हो गए थे। इसका मतलब 3102+2023= 5125 वर्ष कलियुग के बित चुके हैं और 426887 वर्ष अभी बाकी है और अभी से ही कल्कि की पूजा, आरती और प्रार्थन शुरू हो गई है।

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