Upang Lalita Vrat 2024 : इन दिनों वर्ष 2024 का शारदीय नवरात्रि का पर्व जारी है और हर साल शरद नवरात्रि के पंचमी तिथि पर यानि आश्विन शुक्ल पंचमी के दिन उपांग ललिता व्रत मनाया जाता है। यह पर्व पूरे भारतभर में ललिता पंचमी के रूप में भी मनाया जाता है।
इस वर्ष उपांग ललिता व्रत 07 अक्टूबर 2024, दिन सोमवार को पड़ रहा है। यह व्रत विशेष रूप से गुजरात और महाराष्ट्र में किया जाता है। आश्विन शुक्ल पंचमी के दिन मां ललिता का पूजन करना अत्यंत मंगलकारी माना गया है। मां ललिता को त्रिपुरा सुंदरी और षोडसी के रूप में भी जाना जाता है। ये मां की दस महाविद्याओं में से एक हैं। आइए यहां जानते हैं उपांग ललिता व्रत, ललिता पंचमी के बारे में....
उपांग ललिता व्रत का महत्व क्या है : पौराणिक शास्त्रों के अनुसार ललिता देवी को 'त्रिपुर सुंदरी' के नाम से भी जाना जाता है। ललिता देवी माता सती पार्वती का ही एक रूप हैं। देवी ललिता का ध्यान रूप बहुत ही उज्ज्वल व प्रकाशवान है। इसे जनमानस में 'उपांग ललिता व्रत' के नाम से जाना जाता है। ललिता माता के पूजन पद्धति देवी चंडी के समान ही है। कालिका पुराण के अनुसार देवी ललिता की दो भुजाएं हैं। यह माता गौर वर्ण होकर रक्तिम कमल पर विराजित हैं। दक्षिणमार्गी शाक्तों के मतानुसार देवी ललिता को 'चंडी' का स्थान प्राप्त है। पौराणिक मान्यता के अनुसार इस दिन माता ललिता कामदेव के शरीर की राख से उत्पन्न हुए 'भांडा' नामक राक्षस को मारने के लिए प्रकट हुई थीं।
नवरात्रि में दुर्गा देवी के 9 रूपों की पूजा की जाती है तथा नवरात्रि के 5वें दिन स्कंदमाता के पूजन के साथ-साथ ललिता पंचमी व्रत तथा शिवजी की पूजा भी की जाती है। इस संबंध में मान्यता है कि मां ललिता 10 महाविद्याओं में से ही एक हैं, अत: पंचमी के दिन यह व्रत रखने से भक्त के सभी कष्ट दूर होकर उन्हें मां ललिता का विशेष आशीर्वाद मिलता है।
पुराणों के अनुसार जब माता सती अपने पिता दक्ष द्वारा अपमान किए जाने पर यज्ञ अग्नि में अपने प्राण त्याग देती हैं तब भगवान शिव उनके शरीर को उठाए घूमने लगते हैं, ऐसे में पूरी धरती पर हाहाकार मच जाता है। जब विष्णु भगवान अपने सुदर्शन चक्र से माता सती की देह को विभाजित करते हैं, तब भगवान शंकर को हृदय में धारण करने पर इन्हें 'ललिता' के नाम से पुकारा जाने लगा।
पंचमी तिथि का प्रारंभ- 07 अक्टूबर 2024 को सुबह 09 बजकर 47 मिनट पर।
पंचमी तिथि का समापन- 08 अक्टूबर 2024 को सुबह 11 बजकर 17 मिनट पर।
उपांग ललिता व्रत की पूजा विधि क्या है :
- शारदीय नवरात्रि के पंचमी तिथि पर प्रातः जल्दी उठकर दैनिक कार्यों से निवृत्त होकर स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- पूजन के लिए सबसे पहले शालिग्राम जी के विग्रह, कार्तिकेय जी, माता गौरी और भगवान शिव की मूर्तियों समेत सभी पूजन सामग्री यानि 1 तांबे का लोटा, 1 नारियल, कुमकुम, अक्षत, हल्दी, चंदन, अबीर गुलाल, दीपक, घी, इत्र, पुष्प, दूध, जल, फल, मेवा, मौली, आसन आदि एकत्रित कर लें।
- फिर घर के ईशान कोण में, पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुंह करके माता ललिता का पूजन करें।
- साथ ही माता को लाल रंग के पुष्प, लाल वस्त्र आदि भेंट करें।
- 'ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं सौ: ॐ ह्रीं श्रीं क ए ई ल ह्रीं ह स क ह ल ह्रीं सकल ह्रीं सौ: ऐं क्लीं ह्रीं श्रीं नमः।' ध्यान मंत्र का अधिक से अधिक जाप करें।
- इस दिन ललिता सहस्रनाम, ललितात्रिशती का पाठ तथा मंत्रों का जाप विशेष तौर पर किया किया जाता है।
इस तरह से जीवन की आर्थिक समस्याएं दूर होकर धनागमन के रास्ते खुलते हैं और सुखमय जीवन व्यतीत होता है। इस दिन देवी मंदिरों पर भक्तों का तांता लगता है। यह व्रत समस्त सुखों को प्रदान करने वाला होता है, अत: इस दिन मां ललिता की पूजा-आराधना का विशेष महत्व है।
अस्वीकरण (Disclaimer) : चिकित्सा, स्वास्थ्य संबंधी नुस्खे, योग, धर्म, ज्योतिष, इतिहास, पुराण आदि विषयों पर वेबदुनिया में प्रकाशित/प्रसारित वीडियो, आलेख एवं समाचार सिर्फ आपकी जानकारी के लिए हैं, जो विभिन्न सोर्स से लिए जाते हैं। इनसे संबंधित सत्यता की पुष्टि वेबदुनिया नहीं करता है। सेहत या ज्योतिष संबंधी किसी भी प्रयोग से पहले विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें। इस कंटेंट को जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है जिसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है।