महाभारत के एक दृष्टांत में इस बात का उल्लेख करते हुए कहा गया है कि माघ मास के दिनों में अनेक तीर्थों का समागम होता है, वहीं पद्म पुराण में कहा गया है कि अन्य मास में जप, तप और दान से भगवान विष्णु उतने प्रसन्न नहीं होते जितने कि वे माघ मास में स्नान करने से होते हैं।
शास्त्रों के अनुसार इस दिन गंगाजी में स्नान करने से दैहिक (शारीरिक), भौतिक (अनजाने में किया गया पाप), दैविक (ग्रहों, गोचरों का दुर्योग) तीनों प्रकार के मनुष्य के पाप दूर हो जाते हैं।
इस दिन स्वर्ग लोक के सारे देवी-देवता गंगा में वास करते हैं, जो पापों से मुक्ति देते हैं। यह चन्द्र तथा राहु प्रधान होती है इसलिए जिस व्यक्ति की पत्रिका में इन ग्रहों से संबंधित परेशानियां हों, इस दिन उपाय करने से कई गुना फल की प्राप्ति होती है।