चातुर्मास कब से कब तक रहेगा, इन 4 माह में 15 चीजें नहीं खाना चाहिए

WD Feature Desk

सोमवार, 7 जुलाई 2025 (09:55 IST)
Chaturmas 2025: चातुर्मास हिंदू धर्म में एक अत्यंत पवित्र अवधि है, जो चार महीनों तक चलती है। इस दौरान भगवान विष्णु क्षीरसागर में योगनिद्रा में चले जाते हैं और सृष्टि का कार्यभार भगवान शिव संभालते हैं। यह समय आत्म-चिंतन, तपस्या, साधना और धार्मिक कार्यों के लिए बहुत शुभ माना जाता है, जबकि विवाह जैसे मांगलिक कार्य वर्जित होते हैं। आइए यहां जानते हैं इस साल चातुर्मास 2025 कब से कब तक रहने वाला है।ALSO READ: यदि सिद्धियां प्राप्त करना चाहते हैं तो चातुर्मास में करें ये 3 कार्य
 
चातुर्मास 2025 कब से कब तक रहेगा: वर्ष 2025 में चातुर्मास का आरंभ 6 जुलाई, रविवार को देवशयनी एकादशी के साथ शुरू हो गया है। यह अवधि 1 नवंबर 2025, शनिवार को देवउठनी एकादशी के साथ समाप्त होगी। इस प्रकार, चातुर्मास की कुल अवधि लगभग चार महीने की होगी।
 
संक्षेप में जानें चातुर्मास के 4 महीने के विशेष त्याग:
• श्रावण मास: हरी पत्तेदार सब्जियां।
• भाद्रपद मास: दही।
• आश्विन मास: दूध।
• कार्तिक मास: प्याज, लहसुन, उड़द की दाल।
 
आइए अब यहां जानते हैं इन 4 माह में कौन-सी ऐसी 15 चीजें हैं, जो हमें नहीं खाना चाहिए...
 
चातुर्मास के दौरान खान-पान में संयम और सात्विकता का विशेष महत्व है। धार्मिक मान्यताओं के साथ-साथ, इन नियमों के पीछे वैज्ञानिक और आयुर्वेदिक कारण भी हैं, क्योंकि यह अवधि वर्षा ऋतु की होती है, जिसमें पाचन शक्ति कमजोर होती है और संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है। चातुर्मास में सामान्यतः निम्नलिखित चीजों का सेवन वर्जित माना जाता है या इनमें से कुछ का इन माहों में विशेष रुप त्याग किया जाता है।ALSO READ: क्या आप जानते हैं चातुर्मास के समय क्यों योग निद्रा में चले जाते हैं भगवान विष्णु, नहीं होते मांगलिक कार्य
 
1. हरी पत्तेदार सब्जियां: श्रावण मास में हरी पत्तेदार सब्जियां- जैसे पालक, साग, मेथी खाने से बचना चाहिए। ऐसा माना जाता है कि बारिश में इनमें कीटाणु और सूक्ष्म जीव बढ़ जाते हैं।
 
2. दही और दही से बनी चीजें: भाद्रपद मास में दही का सेवन वर्जित माना जाता है।
 
3. दूध और दूध से बने पदार्थ: आश्विन मास में दूध का त्याग करने की सलाह दी जाती है।
 
4. प्याज और लहसुन: पूरे चातुर्मास में प्याज और लहसुन जैसे तामसिक भोजन से परहेज करना चाहिए।
 
5. उड़द की दाल: कार्तिक मास में उड़द की दाल का सेवन नहीं करना चाहिए।
 
6. बैंगन: बैंगन को भी पूरे चातुर्मास के दौरान नहीं खाना चाहिए, क्योंकि इसमें कीटों की संख्या बढ़ जाती है और यह वातवर्धक होता है।
 
7. मूली: मूली का सेवन भी वर्जित है।
 
8. कटहल: कटहल को भी इन चार महीनों में नहीं खाना चाहिए।
 
9. तेल से बनी चीजें: तेल में तली हुई चीजें, खासकर ज्यादा तेल का सेवन इस दौरान पाचन के लिए भारी हो सकता है।
 
10. बेसन से बनी चीजें: बेसन से बनी चीजें (जैसे पकौड़े) भी इस अवधि में स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकती हैं।
 
11. मैदे से बनी चीजें: मैदा भी पचाने में भारी होता है, इसलिए इसका सेवन नहीं करना चाहिए।
 
12. शकर (कुछ लोग): कुछ लोग पूरे चातुर्मास में शकर का त्याग करते हैं, या कम मीठा खाते हैं।
 
13. मसालेदार भोजन: अधिक मसालेदार और तीखा भोजन इस दौरान पाचन को बिगाड़ सकता है, इसलिए सादा और हल्का भोजन ही करना चाहिए।
 
14. मिठाई, गुड़, शहद: अत्यधिक मीठे, गुड़ और शहद का सेवन भी सीमित करने की सलाह दी जाती है।
 
15. मांसाहार, अंडा और शराब: पूरे चातुर्मास में मांसाहार, अंडा और शराब का सेवन पूर्णतः वर्जित होता है।
 
इन नियमों का पालन कर व्यक्ति शारीरिक और मानसिक रूप से शुद्ध रहता है, जिससे आध्यात्मिक उन्नति में सहायता मिलती है। यह अवधि संयम और तपस्या के लिए उत्तम मानी जाती है।

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