Ravi Pradosh: प्रत्येक माह में दो प्रदोष होते हैं। त्रयोदशी तिथि को प्रदोष कहते हैं। इस दिन भगवान शिव के साथ ही माता पार्वती की पूजा अर्चना की जाती है। जो प्रदोष जिस वार को आता है उसे उस वार के नाम से जाना जाता है। हर प्रदोष का अलग ही महत्व होता है। इस बार रविवार को प्रदोष आ रहा है। जानिए रविवार को प्रदोष का व्रत रखने के 5 फायदे।
आषाढ़ माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को यानी तेरस को यह व्रत रखा जाएगा। अंग्रेजी माह के अनुसार इसकी डेट है 26 जून 2022 रविवार। जो प्रदोष रविवार के दिन पड़ता है उसे भानुप्रदोष या रवि प्रदोष कहते हैं। रवि प्रदोष का संबंध सीधा सूर्य से होता है। सूर्य से संबंधित होने के कारण नाम, यश और सम्मान के साथ ही सुख, शांति और लंबी आयु दिलाता है। इससे कुंडली में अपयश योग और सूर्य संबंधी सभी परेशानियां दूर हो जाती हैं।
5. रवि प्रदोष, सोम प्रदोष व शनि प्रदोष के व्रत को पूर्ण करने से अतिशीघ्र कार्यसिद्धि होकर अभीष्ट फल की प्राप्ति होती है। सर्वकार्य सिद्धि हेतु शास्त्रों में कहा गया है कि यदि कोई भी 11 अथवा एक वर्ष के समस्त त्रयोदशी के व्रत करता है तो उसकी समस्त मनोकामनाएं अवश्य और शीघ्रता से पूर्ण होती है।