आइए जानें लोकपर्व संजा का पौराणिक महत्व :-
* इन दिनों चल रहे श्राद्ध पक्ष के पूरे 16 दिनों तक कुंआरी कन्याएं हर्षोल्लासपूर्ण वातावरण में दीवारों पर बहुरंगी आकृति में 'संजा' गढ़ती हैं तथा ज्ञान पाने के लिए सिद्ध स्त्री देवी के रूप में इसका पूजन करती हैं।
* कुछ शास्त्रों के अनुसार धरती पुत्रियां सांझी को ब्रह्मा की मानसी कन्या संध्या, दुर्गा, पार्वती तथा वरदायिनी आराध्य देवी के रूप में पूजती हैं।
* सांजी, संजा, संइया और सांझी जैसे भिन्न-भिन्न प्रचलित नाम अपने शुद्ध रूप में संध्या शब्द के द्योतक हैं।