धार्मिक मान्यतानुसार प्रतिवर्ष भाद्रपद माह की शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि के दिन सूर्य षष्ठी व्रत (Surya Sashti Vrat 2022) मनाया जाता है। इसमें भगवान सूर्य का पूजन किया जाता है। वर्ष 2022 में यह पर्व 2 सितंबर, दिन शुक्रवार को मनाया जा रहा है।
महत्व- पौराणिक शास्त्रों के अनुसार भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष में षष्ठी तिथि (Bhadrapad Shukla Shasti) के दिन सूर्य उपासना का विधान दिया गया है। भाद्रपद महीने में सूर्य का नाम 'विवस्वान' है। इस दिन उपवास करने का महत्व है। षष्ठी के दिन सूर्य प्रतिमा की पूजा किया जाना चाहिए।
षष्ठी के दिन भगवान सूर्यदेव का विधिवत पूजन करना चाहिए तथा एक समय का बिना नमक का भोजन ग्रहण करना चाहिए तथा यह व्रत एक वर्ष तक करना चाहिए। यह व्रत सुख-सौभाग्य और संतान की रक्षा करने वाला माना गया है।
शुभ मुहूर्त-
पूजन का शुभ समय- सुबह 7:30 से 10:45, 12:20 से 2:00 तक
इनमें से किसी की मंत्रों का जाप करके सूर्यदेव को तांबे के कलश से अर्घ्य चढ़ाना चाहिए। अर्घ्य चढ़ाने के जल में रोली, शकर और अक्षत डालने से भगवान सूर्यदेव प्रसन्न होकर सुख-सौभाग्य, आयु, धन-धान्य, यश-विद्या आदि देते हैं।
10 खास बातें -
1. पुराणों के अनुसार इस दिन गंगा स्नान का भी महत्व है।
2. इस दिन एक समय का बिना नमक का भोजन ग्रहण करना चाहिए।
3. इस व्रत को करने से भगवान सूर्यदेव प्रसन्न होते हैं।
4. सूर्य षष्ठी के दिन पूरे मन से सूर्यदेव की आराधना करने वाले व्यक्ति को सूर्य जैसा तेज प्राप्त होता है।
5. सूर्य षष्ठी व्रत करने से नेत्र रोगियों को फायदा होता है।
6. सूर्य षष्ठी पर्व पर सूर्य देवता का पूजन करने की विशेष मान्यता है।
7. मान्यतानुसार सूर्य षष्ठी व्रत संतानों की रक्षा करके उन्हें स्वस्थ एवं दीघार्यु बनाता हैं।
8. पौराणिक शास्त्रों में भगवान सूर्य को गुरु भी कहा गया है। हनुमान जी ने सूर्य से ही शिक्षा ग्रहण की थी।
9. श्री कृष्ण के पुत्र साम्ब को जब कुष्ठ रोग हो गया था, तब उन्होंने सूर्यदेव की उपासना करके कोढ़ रोग से मुक्ति पाई थी।
10. आज के दिन सूर्य चालीसा, आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ करने से सूर्य देवता प्रसन्न होते हैं।