आज 14 मार्च को शीतला सप्तमी पर्व मनाया जा रहा है। मान्यतानुसार माता शीतला देवी भगवती दुर्गा का ही रूप है। अत: इस दिन शीतला माता का पूजन करके उन्हें बासी खाने का भोग लगाया जाता है।
शीतला सप्तमी तथा अष्टमी के दिन पूजन से पूर्व गैस अथवा चूल्हा न जलाने की परंपरा भी आज तक चली आ रही है। इस दिन घर की महिलाएं बच्चों की लंबी उम्र तथा अच्छे जीवन के लिए श्रद्धा एवं विश्वास के साथ माता का पूजन करती है। अधिकतर सभी घरों में इस दिन परिवार के सभी लोग माता शीतला की उपासना करके ठंडा/ बासी भोजन ग्रहण करते हैं।
आइए जानते हैं इस पर्व से जुड़ी खास जानकारी यहां पर-
पूजा विधि- Puja VIdhi
- शीतला सप्तमी यानी चैत्र कृष्ण सप्तमी के दिन सुबह जल्दी उठकर माता शीतला का ध्यान करें।
- व्रतधारी प्रातः कर्मों से निवृत्त होकर स्वच्छ व शीतल जल से स्नान करें।
- तत्पश्चात निम्न मंत्र से संकल्प लें- 'मम गेहे शीतलारोगजनितोपद्रव प्रशमन पूर्वकायुरारोग्यैश्वर्याभिवृद्धिये शीतलाष्टमी व्रतं करिष्ये'
- इसके बाद विधि-विधान से तथा सुगंधयुक्त गंध-पुष्प आदि से माता शीतला का पूजन करें।
- महिलाएं इस दिन मीठे चावल, हल्दी, चने की दाल और लोटे में पानी लेकर शीतला माता का पूजन करें।
- पूजन के समय 'हृं श्रीं शीतलायै नम:' मंत्र जपते रहें।
- माता शीतला को जल अर्पित करने के पश्चात जल की कुछ बूंदे अपने ऊपर भी छिड़कें।
- फिर एक दिन पहले बनाए हुए (ठंडे) खाद्य पदार्थों, मेवे, मिठाई, पूआ, पूरी, दाल-भात, मीठे चावल तथा गुड़-चावल के पकवान आदि का माता को भोग लगाएं।
- तत्पश्चात शीतला स्तोत्र का पाठ पढ़ें और कथा सुनें।
- माता शीतला का वास वटवृक्ष में माना जाता है, अतः इस दिन वट का पूजन करना ना भूलें।
- तत्पश्चात माता को चढ़ाएं जल में से बह रहे जल में से थोड़ा जल अपने लोटे में डाल लें तथा इसे परिवार के सभी सदस्य आंखों पर लगाएं और थोड़ा जल घर के हर हिस्से में छिड़क दें, मान्यतानुसार यह जल पवित्र होने से इससे घर की तथा शरीर की शुद्धि होती है।
- शीतला सप्तमी के दिन बासी भोजन को ही ग्रहण करें। ज्ञात हो कि इस व्रत के दिन घरों में ताजा यानी गर्म भोजन नहीं बनाया जाता है, अत: इस दिन एक दिन पहले बने ठंडे या बासी भोजन को ही मां शीतला को अर्पित करने तथा परिवारसहित इसी भोजन को ग्रहण करने की परंपरा है।
शीतला सप्तमी 2023 के शुभ मुहूर्त- sheetala saptami shubh muhurt
शीतला सप्तमी 14 मार्च 2023, मंगलवार को
शीतला सप्तमी तिथि का प्रारंभ- 13 मार्च 2023 को 09.27 पी एम से
सप्तमी तिथि का समापन- 14 मार्च 2023 को 08.22 पी एम पर।
शीतला सप्तमी पर पूजन का शुभ मुहूर्त- 06.33 ए एम से 06.29 पी एम तक
कुल अवधि- 11 घंटे 56 मिनट्स
दिन का चौघड़िया
चर- 09.32 ए एम से 11.01 ए एम
लाभ- 11.01 ए एम से 12.31 पी एम
अमृत- 12.31 पी एम से 02.00 पी एम
शुभ- 03.30 पी एम से 04.59 पी एम
रात का चौघड़िया
लाभ- 07.59 पी एम से 09.29 पी एम
शुभ- 11.00 पी एम से 15 मार्च को 12.30 ए एम तक।
अमृत- 12.30 ए एम से 15 मार्च को 02.00 ए एम तक।
चर- 02.00 ए एम से 15 मार्च को 03.31 ए एम तक।
मंत्र-
- 'हृं श्रीं शीतलायै नम:'
- 'ॐ ह्रीं श्रीं शीतलायै नम:'
- 'वन्देऽहं शीतलां देवीं रासभस्थां दिगम्बरराम्,
मार्जनीकलशोपेतां शूर्पालंकृतमस्तकाम्।'
-'शीतले त्वं जगन्माता, शीतले त्वं जगत् पिता।
शीतले त्वं जगद्धात्री, शीतलायै नमो नमः'।
शीतला माता की आरती-sheetala Mata Ki Aarti
जय शीतला माता... मैया जय शीतला माता,
आदि ज्योति महारानी सब फल की दाता।
जय शीतला माता...
रतन सिंहासन शोभित, श्वेत छत्र भ्राता,
ऋद्धि-सिद्धि चंवर ढुलावें, जगमग छवि छाता।
जय शीतला माता...
विष्णु सेवत ठाढ़े, सेवें शिव धाता,
वेद पुराण बरणत पार नहीं पाता।
जय शीतला माता...
इन्द्र मृदंग बजावत चन्द्र वीणा हाथा,
सूरज ताल बजाते नारद मुनि गाता।
जय शीतला माता...
घंटा शंख शहनाई बाजै मन भाता,
करै भक्तजन आरती लखि-लखि हरहाता।
जय शीतला माता...
ब्रह्म रूप वरदानी तुही तीन काल ज्ञाता,
भक्तन को सुख देनौ मातु-पिता-भ्राता।
जय शीतला माता...
जो भी ध्यान लगावें, प्रेम भक्ति लाता,
सकल मनोरथ पावे, भवनिधि तर जाता।
जय शीतला माता...
रोगन से जो पीड़ित कोई शरण तेरी आता,
कोढ़ी पावे निर्मल काया, अंध नेत्र पाता।
जय शीतला माता...
बांझ पुत्र को पावे दारिद कट जाता,
ताको भजै जो नाहीं, सिर धुनि पछिताता।
जय शीतला माता...
शीतल करती जननी तू ही है जग त्राता,
उत्पत्ति व्याधि विनाशत तू सब की घाता।
जय शीतला माता...
दास विचित्र कर जोड़े सुन मेरी माता,
भक्ति आपनी दीजे और न कुछ भाता।
शीतला चालीसा-Mata Shitala Chalisa
दोहा :-
जय जय माता शीतला तुमही धरे जो ध्यान। होय बिमल शीतल हृदय विकसे बुद्धी बल ज्ञान।।
ग्राम तिवारी पूर मम बासा। प्रगरा ग्राम निकट दुर वासा।।
अब विलंब भय मोही पुकारत। मातृ कृपाकी बाट निहारत।।
बड़ा द्वार सब आस लगाई। अब सुधि लेत शीतला माई।।
यह चालीसा शीतला पाठ करे जो कोय। सपनें दुख व्यापे नही नित सब मंगल होय।।
बुझे सहस्र विक्रमी शुक्ल भाल भल किंतू। जग जननी का ये चरित रचित भक्ति रस बिंतू।।
॥ इतिश्री शीतला माता चालीसा समाप्त॥
शीतला माता के उपाय : Sheetala Mata Upay
- माता शीतला को ठंडी चीजों का भोग लगाकर प्रसाद ग्रहण करने से जीवन खुशहाल बनता है।
- शीतला सप्तमी का व्रत और पूजन अच्छी सेहत खुशियां देने वाला माना जाता है।
- मां शीतला का पूजन जीवन में सभी तरह के ताप से बचने के लिए सर्वोत्तम उपाय माना जाता है।
- शीतला सप्तमी तथा अष्टमी व्रत दुर्गंधयुक्त फोड़े, नेत्र रोग तथा शीतलाजनिक रोगों से मुक्ति के लिए बहुत फलदायी। अत: इस दिन माता का शीतल जल से अभिषेक-पूजन करने से देवी शीतला प्रसन्न होकर स्वस्थ रहने का वरदान देती है।
- शीतला सप्तमी-अष्टमी के दिन माता शीतला को जल अर्पित करके उसकी कुछ बूंदे अपने ऊपर डालना चाहिए, इस उपाय से शरीर की गर्मी दूर होकर माता का आशीष मिलता है।