वैकुंठ चतुर्दशी के दिन पूरे विधि विधान से पूजा करने से सभी को पापों से मुक्ति मिलती है और वैकुंठ की प्राप्ति होती है।
वैकुंठ चतुर्दशी पूजा विधि
इस दिन प्रातःकाल स्नान करके नया वस्त्र धारण करें और उपवास रखें।
प्रातः काल सूर्योदय से पहला स्नान करें, व्रत का संकल्प लें।
इस दिन भगवान विष्णु की पूजा निशिथ काल यानी अर्धरात्रि में की जाती है।
इस दिन घर में चौकी पर भगवान विष्णु और भोलेनाथ की मूर्ति स्थापित करें।
प्रतिमाओं पर तुलसी और बेल के पत्ते चढ़ाएं।
भगवान को तिलक लगाएं, धूप, दीप जलाएं और भोग चढ़ाएं।
विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें और आरती करें।
भगवान विष्णु को श्वेत कमल पुष्प, धूप दीप, चंदन और केसर चढ़ाएं। उन्हें तुलसी दल भी अर्पित करें। तुलसी दल अर्पित करने के बाद भगवान विष्णु को चंदन का तिलक करें।
गाय के दूध, मिश्री और दही से भगवान का अभिषेक करें और षोडशोपचार पूजा करके भगवान विष्णु की आरती उतारें।
श्रीमदभागवत गीता और श्री सुक्त का पाठ करें और भगवान विष्णु को मखाने की खीर का भोग लगाएं।
इसके बाद दूध और गंगाजल से भगवान शंकर का अभिषेक करें।
बेलपत्र चढ़ाने के बाद भगवान शंकर को मखाने की खीर का भोग लगाएं और प्रसाद के रुप में लोगों को वितरित करें।
अपने सामर्थ्य अनुसार गरीबों और ब्राह्मणों को दान दें।
भगवान विष्णु को कमल के 1000 फूल अर्पित करने चाहिए। यदि आप ऐसा नहीं कर सकते तो आप भगवान को एक ही कमल का फूल अर्पित करें।
भगवान विष्णु के मंत्र और श्री सूक्त का पाठ करें। वैकुंठ चतुर्दशी की कथा अवश्य सुनें।
आरती उतारने के बाद भगवान विष्णु को खिचड़ी, घी और आम के अचार का भोग लगाएं।
यह खिचड़ी, घी और आम का आचार प्रसाद के रूप में स्वंय भी ग्रहण करें और परिवार के लोगों को भी दें।