Agastya Tara Arghya: हिंदू धर्म में आप सूर्य और चंद्र को अर्घ्य देने के महत्व को जानते हैं परंतु तारों को भी अर्घ्य दिया जाता है और उसमें भी ध्रुव एवं अगस्त्य तारे को अर्घ्य देने का खासा महत्व है। अगस्त्य ऋषि के नाम पर एक तारे का नाम अगस्त्य है। अगस्त्य ऋषि ने भगवान शिव के कहने पर दक्षिण भारत में धर्म का प्रचार किया था। दक्षिण भारत में आज जो भी परंपरा, रीति रिवाज, खेती, पशु पालन, व्रत एवं त्योहार आदि प्रचलित हैं वे सभी अगस्त्य ऋषि की ही देन है।
इस मन्त्र को पढते हुये अगस्त्यमुनि के लिये अर्घ्य दें -
अगस्त्यः खनमानः खनित्रैः प्रजामपत्यं बलमिच्छमानः।
उभौ वर्णावृषिरुग्रः पुपोष सत्या देवेष्वाशिषो जगाम॥
अगस्त्य तारे को अर्घ्य देने का महत्व:- भविष्य पुराण के अनुसार 7 साल तक लगातर क्रम से अगस्त्य कारे को अर्घ्य देने से ज्ञानी और योद्धा पृथिवीपति बनने का अधिकारी बन जाता है। कारोबारी धान्य का अधिपति बन जाता है और सेवक एवं मेहनतकश जातक धनवान बन जाता है। जब तक आयु रहती है तब तक जो अर्घ्य देता है वह परब्रह्म को पाकर मोक्ष प्राप्त करता है।