सखी रे... वसंत आया!

ND
ऋतुएँ बदलती हैं तो दिनचर्या बदल जाती है। पहले ऋतु का बदलना हमारे जीवन में प्रतिबिंबित होता था। गीतों और व्यवहार में ढलता था। अब प्रकृति से यह अपनापा खो रहा है। हमारी अनुभूतियाँ बदल रही हैं। अब सामने होकर भी प्रकृति के हरकारे फूल, पक्षी, फसल हमें दिखलाई नहीं पड़ते हैं। तरक्की पसंद इंसान का आसमान चहारदीवारी में कैद हुआ और घर में बौने पेड़ उग आए। प्रकृति से रिश्ता टूटते ही इंसान बोनसाई हो गया। ऐसे कैसे मालूम हो कि वसंत आ गया है?

हमारी सांस्कृतिक परम्परा में ऋतु परिवर्तन से मानवीय अनुभूति का संबंध है। यह संबंध तब से है, जब से मानव मित्र के रूप में प्रकृति के निकट रहा है। आज हमारे जीवन में वसंत खो रहा है। हमारे जीवन का तानाबाना प्रकृति के दोहन पर खड़ा है। नगरों में रहने वालों का हर दिन, हर सुबह एक जैसी है। उन्हें वसंत के आगमन की जानकारी नहीं होती। प्रकृति से दूर जाने कारण सौंदर्य ही नहीं आध्यात्मिक अनुभूति भी खत्म हो गई है। हमारी पीढ़ी वह है, जो हैप्पी ग्रहण कह रही है ऐसे समय में वसंत की अनुभूति कहाँ? हमें वसंत पाने हैं तो प्रकृति के निकट जाना होगा।
- डॉ. कपिल तिवार

निराला ने लिखा है- ' वन वन उपवन उपवन जागी छवि खुले प्राण।' आज वसंत में जागी छवियाँ नहीं दिखाई पड़तीं। न टेरेस गार्डन में, न बोनसाई के ठिगने पेड़ों में और न चेहरों पर वसंत दिखाई देता है। जिन शहरों में आकाश खो रहा है, वहाँ मदमाती वासंती हवा का स्पर्श नहीं मिल सकता। वसंत खुशी की ऋतु है। हमारे संसार में वसंत तब आ सकता है, जब हमारे जीवन में प्रकृति की वापसी हो।
- ध्रुव शुक्

वसंत की मूल सूचना तो फूलों से मिलती है। जगह-जगह टेसू, पलाश खिल जाते हैं। हवा बदल जाती है, एक सांद्रता, गाढ़ापन महसूस होने लगता है। अब वसंत के आगमन का उतना पता नहीं चलता। अगर आपके पास हृदय है, आँखें हैं, तो आसपास के वातावरण को देख अनुमान लगा लेते हैं कि वसंत आ गया।
- संगीता गुंदेच

ND
भारत हरियाली से भरपूर है इसलिए कहीं से भी गुजरने पर प्रकृति हमारे आसपास ही महसूस होती है। अगर हम थोड़ा भी ध्यान दें तो इसके जरिए आसानी से पता चल जाता है कि मौसम में क्या परिवर्तन हो रहे हैं। आज कल आमों के पेड़ों पर बौर लग रहे हैं। इन्हें देखकर लग रहा है कि प्रकृति पर वसंत छा रहा है।
- सुप्रिया मजूमदा

घर के सामने ही पार्क है। उसमें काफी पेड़ लगे हैं। यहाँ पक्षी भी कलरव करते रहते हैं। जब कोयल की मीठी आवाज सुनाई देती है, मुझे अहसास होता है कि मौसम कुछ बदला है। जब कॉलेज के पास लगे बोगनवेलिया के फूल खिलने लगते हैं, तो मुझे लगता है कि वसंत ऋतु आ गई है ।
- रानू अग्रवा

फार्म हाऊस के खेत की मेड़ पर कुछ सरसों भी उग आई थी, वह इन दिनों बहार पर है। पीले-पीले फूल बहुत सुंदर लग रहे हैं। उन्हें देखकर लग रहा है कि वसंत आ गया है।
- अमर जैन

पतझड़ के कारण पेड़ों पर सूनापन आ जाता है। सावन के बाद जब उन पर नए पत्ते और फल-फूल खिलते हैं, उसी से मैं समझता हूँ कि वसंत आ गया। इस मौसम में आस-पास विभिन्न प्रकार के फूल खिल जाते हैं, जिससे माहौल रंग-बिरंगा हो जाता है।
- सुरेंद्र नाथ तिवारी

वेबदुनिया पर पढ़ें