41 साल बाद जिस कप्तान की अगुवाई में आया ओलंपिक मेडल उस मनप्रीत सिंह का चौथा ओलंपिक (Video)

WD Sports Desk

गुरुवार, 11 जुलाई 2024 (16:42 IST)
अभावों में बीता बचपन, मां के बेहिसाब संघर्ष, कैरियर में झूठे आरोप सभी कुछ झेला है मनप्रीत सिंह ने लेकिन कठिनाइयों की आग में तपकर कुंदन बना मीठापुर का यह हॉकी स्टार अब पेरिस में कैरियर का चौथा ओलंपिक खेलेगा।

तोक्यो ओलंपिक में 41 साल बाद कांस्य पदक जीतने वाली भारतीय टीम के कप्तान रहे मनप्रीत ने ओलंपिक के लिये रवानगी से पहले यहां (भाषा) को दिये विशेष इंटरव्यू में कहा ,‘‘ बहुत अच्छा लग रहा है। मैने कभी सोचा नहीं था कि चार ओलंपिक खेल पाऊंगा। हर खिलाड़ी का सपना होता है ओलंपिक खेलना और पदक जीतना। मैं खुद को काफी खुशकिस्मत मानता हूं कि ये मेरा चौथा ओलंपिक है।’’

मात्र 19 वर्ष की उम्र में 2011 में भारत के लिये पदार्पण करने वाले इस अनुभवी मिडफील्डर ने कहा ,‘‘ मैं यह सोचकर जा रहा हूं कि ये मेरा आखिरी ओलंपिक है और मुझे सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करना है।’’

VIDEO | Indian Hockey Team Senior Midfielder Manpreet Singh is playing his fourth Olympics in Paris, which will get underway on July 26. Here's what he said expressing his joy and pride.

"I am feeling very good. I had not thought I will play four Olympics. It is an athlete's… pic.twitter.com/CIRVxEpFib

— Press Trust of India (@PTI_News) July 11, 2024
ओलंपिक पदक जीतने के बाद हालांकि उन्होंने अपने कैरियर का सबसे बुरा दौर देखा जब पूर्व कोच शोर्ड मारिन ने अपनी किताब में उन पर आरोप लगाया कि 2018 राष्ट्रमंडल खेलों के दौरान उन्होंने एक युवा खिलाड़ी को जान बूझकर खराब खेलने के लिये कहा ताकि उनके दोस्त को टीम में जगह मिल सके।
 

मनप्रीत ने पहली बार उन आरोपों के बारे में खुलकर बात करते हुए कहा कि वह पूरी तरह टूट गए थे और उनका भरोसा हर किसी पर से उठ गया था हालांकि टीम ने उनका पूरा साथ दिया जिसकी वजह से वह इससे उबर सके।

उन्होंने कहा ,‘‘ मेरे लिये वह सबसे कठिन दौर था। मैं इस तरह की चीजों के बारे में कभी सोच भी नहीं सकता था। उस समय टीम ने मेरा साथ दिया और कहा कि हम तुम्हें जानते हैं और तुम्हारे साथ हैं।’’

उन्होंने कहा ,‘‘ लेकिन मैं टूट गया था और हर चीज से विश्वास उठ गया था। मैने श्रीजेश (P R ) को बताया जिससे मैं सब कुछ साझा करता हूं। मेरी मां ने मुझे हौसला दिया कि अपने पिता का सपना पूरा करने के लिये खेलते रहो और उस पल से मैने उस प्रकरण को भुला दिया।’’

बत्तीस वर्ष के इस खिलाड़ी ने कहा ,‘‘ खराब दौर में घर वालो का साथ , टीम का सहयोग बहुत जरूरी है क्योंकि उस समय खिलाड़ी खुद को बहुत अकेला पाता है। जब टीम साथ खड़ी होती है तो बहुत हौसला मिलता है और वापसी करने में मदद भी। हमने अभी क्रिकेट में भी हार्दिक पंड्या को शानदार वापसी करते देखा।’’

एशियाई खेल 2014 और 2022 में स्वर्ण पदक जीतने वाली टीम का हिस्सा रहे मनप्रीत ने भारत के लिये 370 मैचों में 27 गोल दागे हैं।

तोक्यो ओलंपिक में भारतीय दल के ध्वजवाहक रहे इस खिलाड़ी ने अपने सफर के बारे में कहा ,‘‘ अब पीछे मुड़कर देखता हूं तो सपने जैसा लगता है। मैने बचपन में गरीबी करीब से देखी है। पिता दुबई में कारपेंटर का काम करते थे लेकिन वहां से मेडिकल कारणों से वापिस आ गए थे। मेरी मां ने बहुत संघर्ष किया और मेरे दोनों भाई भी हॉकी खेलते थे लेकिन आर्थिक परेशानी के कारण उन्होंने छोड़ दी।’’

उन्होंने कहा,‘‘ हमने बहुत कठिन समय देखा जब घर में मूलभूत जरूरतों के लिये स्टिक के लिये भी संघर्ष करना पड़ता था। लेकिन मेरे परिवार का बहुत साथ रहा है जिससे मैं अपने शौक को परवान चढा सका।’’

अजलन शाह कप 2016 के दौरान पिता की मौत के बाद तुरंत लौटकर पाकिस्तान के खिलाफ गोल करने वाले इस जुझारू खिलाड़ी ने कहा कि अब कप्तान नहीं होने के बावजूद उनकी टीम को लेकर प्रतिबद्धता वही रहेगी।

उन्होंने कहा ,‘‘अब मैं कप्तान नहीं हूं तो भी कोई फर्क नहीं लगता । हॉकी में हर खिलाड़ी की अपनी भूमिका है। कोशिश यही रहती है कि सभी को साथ लेकर चलना है। सीनियर होने के नाते युवाओं को प्रेरित करना है ।’’

मीठापुर से ही निकले ओलंपियन परगट सिंह को अपना आदर्श मानने वाले मनप्रीत ने कहा कि तोक्यो से पेरिस तक टीम की तैयारियों में ज्यादा बदलाव नहीं आया है।

उन्होंने कहा ,‘‘ तोक्यो ओलंपिक से पहले कोविड के कारण काफी समय खिलाड़ी साथ रहे थे जिससे तालमेल शानदार रहा। उसी को जारी रखेंगे क्योंकि 11 खिलाड़ी वहीं हैं जो तोक्यो में थे। हम अपने अनुभव पांचों नये खिलाड़ियों से बांट रहे हैं। किसी टीम को हलके में नहीं लेना है और फोकस से हटना नहीं है।’’

अपने पसंदीदा खिलाड़ियों महेंद्र सिंह धोनी, क्रिस्टियानो रोनाल्डो और डेविड बैकहम की तरह सात नंबर की जर्सी पहनने वाले मनप्रीत ने कहा कि ओलंपिक में किसी भी टीम को हलके में नहीं लिया जा सकता।

उन्होंने कहा ,‘‘ हमारा पूल कठिन है और हम किसी भी टीम को हलके में नहीं ले सकते। न्यूजीलैंड ने हमें विश्व कप में हराया है और आयरलैंड ने हाल ही में बेल्जियम को मात दी है । हमारा फोकस खुद पर है कि हम कैसे अपनी रणनीति पर अमल कर पाते हैं।’’उन्होंने कहा ,‘‘ अच्छी टीमों के खिलाफ मौके कम मिलते हैं लेकिन 50 . 50 मौकों को शत प्रतिशत में बदलना ही चैम्पियन की निशानी है।’’

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