पेरिस ओलंपिक में कांस्य पदक के प्ले ऑफ में लक्ष्य सेन के दबाव में आने से स्तब्ध पूर्व दिग्गज खिलाड़ी प्रकाश पादुकोण ने सोमवार को कहा कि अब समय आ गया है कि खिलाड़ी दबाव का सामना करना सीखें, जवाबदेह बनें और समर्थन मिलने के बाद परिणाम देना शुरू करें।
पूर्व ऑल इंग्लैंड चैंपियन पादुकोण ने कहा कि भारत को अपने खिलाड़ियों को मानसिक प्रशिक्षण देने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए ताकि वे दबाव की स्थितियों का सामना करना सीख सकें।
उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि चीन की तरह एक प्रणाली होनी चाहिए जहां वे एक खिलाड़ी पर निर्भर नहीं हों और खिलाड़ियों को तैयार करने में सफल हों।
पादुकोण ने संवाददाताओं से कहा, हम सिर्फ एक खिलाड़ी से संतुष्ट नहीं रह सकते। हमें अगली पंक्ति पर ध्यान केंद्रित करने की जरूरत है, शायद तीसरी पंक्ति पर भी। जैसे क्रिकेट में करते हैं। आपके पास मुख्य टीम है, फिर ए टीम, फिर अंडर-19 टीम, अंडर-17 टीम। इसलिए हमें ध्यान केंद्रित करने की जरूरत है। इसमें कोई संदेह नहीं है कि बहुत प्रतिभा है लेकिन एक संयुक्त प्रयास की ज़रूरत है।
उन्होंने कहा, इसमें खिलाड़ियों की ओर से भी थोड़ा प्रयास चाहिए। थोड़ी ज्यादा जिम्मेदारी, थोड़ी ज्यादा जवाबदेही। आपने जो मांगा एक बार जब आपको वह मिल जाता है तो आपको जवाबदेह भी होना चाहिए। मुझे लगता है कि खिलाड़ियों को जिम्मेदारी लेना सीखना चाहिए।
लक्ष्य शुरुआती जीतने और दूसरे गेम में 8-3 की बढ़त बनाने के बावजूद 71 मिनट तक चले मुकाबले में मलेशिया के ली जी जिया से 21-13 16-21 11-21 से हार गए।
पादुकोण ने कहा कि अल्मोड़ा के 22 वर्षीय खिलाड़ी को मानसिक प्रशिक्षण और खेल में सुधार दोनों की जरूरत है।
पादुकोण का मानना है कि दबाव लक्ष्य पर हावी हो गया।उन्होंने कहा, एक बात बहुत स्पष्ट है, हमें मानसिक ट्रेनिंग पर ज्यादा ध्यान देने की जरूरत है। हम खेल मनोविज्ञान पर पर्याप्त ध्यान नहीं देते हैं, जो बहुत महत्वपूर्ण है।
पादुकोण ने कहा, ओलंपिक में यदि आपने देखा है कि बहुत से शीर्ष खिलाड़ी हार गए हैं तो ऐसा इसलिए नहीं कि वे तकनीकी या शारीरिक रूप से अच्छे नहीं थे बल्कि इसलिए कि वे दबाव को नहीं झेल पाए। ओलंपिक में दबाव को झेलना ही सब कुछ है, इसलिए यह और भी महत्वपूर्ण है कि हम अपने दिमाग पर अधिक ध्यान दें, ध्यान करें, योग करें।
पादुकोण को लगता है कि निशानेबाज मनु भाकर शायद इसलिए अच्छा प्रदर्शन कर पाईं क्योंकि उन पर दबाव नहीं था।पादुकोण ने कहा कि अब समय आ गया है कि भारत विदेश से खेल मनोवैज्ञानिकों को लाए।
उन्होंने कहा, अब समय आ गया है कि हमारे पास विदेशी खेल मनोवैज्ञानिक भी हों। इसका मतलब यह नहीं है कि भारतीय खेल मनोवैज्ञानिकों से कुछ छीना जाए। उनमें से कुछ अच्छे हैं लेकिन मुझे लगता है कि अब समय आ गया है कि खिलाड़ियों को भी खेल मनोविज्ञान के महत्व का अहसास हो।
पादुकोण इस बात से सहमत नहीं थे कि भारतीय बैडमिंटन को टेनिस जैसी स्थिति का सामना करना पड़ रहा है, जहां एक बड़ा शून्य है और कोई भी लिएंडर पेस, महेश भूपति और सानिया मिर्जा की जगह लेने की स्थिति में नहीं है।(भाषा)