आजम खान : प्रोफाइल

अपने तीखे बयानों के लिए मशहूर उत्‍तर प्रदेश के समाजवादी पार्टी के कद्दावर नेता आजम खान अपने शब्‍द बाणों से बड़े-बड़े नेताओं पर हमला करने से गुरेज नहीं करते। यही कारण है कि वे अपने काम से ज्यादा विवादित बयानों की वजह से चर्चा में रहते हैं। 
प्रारंभिक जीवन : आजम खान का जन्‍म 14 अगस्‍त 1948 को उत्तरप्रदेश के रामपुर में हुआ। उनकी प्रारंभिक शिक्षा रामपुर के बाकर स्‍कूल में हुई। उन्होंने रामपुर के सुंदरलाल इंटर कॉलेज से स्‍नातक की पढ़ाई पूरी की। इसके बाद उन्‍होंने अलीगढ़ मुस्लिम विश्‍वविद्यालय से राजनीति शास्‍त्र से एमए की उपाधि प्राप्‍त की। आजम खान की पत्‍नी का ताजीन फातिमा है और उनके दो पुत्र हैं अदीब खान और अब्दुल्लाह खान। 
 
राजनीतिक जीवन : आजम खान ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत विश्वविद्यालय में विद्यार्थी संघ के सचिव पद से की। 1976 में उन्होंने जनता पार्टी को ज्‍वॉइन किया और इसी पार्टी में रहकर उन्‍होंने जिला स्‍तर की राजनीति की। बाद में वे लोकदल पार्टी से जुड़ गए, लेकिन कुछ ही महीनों बाद वे दोबारा जनता दल में आ गए। 
 
आजम खान फासीवाद और राजनीतिक अन्याय के खिलाफ आवाज उठाने के लिए अलीगढ़, फैजाबाद, उन्नाव और वाराणसी में तीन साल के लिए जेलों में भी रहे, साथ ही वे आपातकाल के दौरान मीसा के तहत गिरफ्तार भी हुए।
 
आजम खान 1980, 1985, 1989, 1991, 2002, 2007 और 2012 में राज्यसभा के निर्वाचित सदस्य रहे। 1981-1982 में संसदीय अनुसंधान, संदर्भ और राज्य विधानसभा की अध्ययन समिति के सदस्य रहे। 1984-1985 में राज्य विधानसभा के प्रत्यायोजित विधान समिति के सदस्य रहे। उन्‍होंने राज्य विधानसभा की प्राक्कलन और याचिका समिति के सदस्य का दायित्व भी निभाया।
 
1989 में वे उत्‍तरप्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री बने और 5 दिसंबर 1989 से 24 जून 1991 तक उन्‍होंने श्रम, रोजगार, मुस्लिम वक्फ़ और हज के लिए काम किया। 1993 में वे दोबारा विधानसभा का चुनाव जीतकर राज्‍य सरकार में कैबिनेट मंत्री बने। 
 
1994 में आजम खान मॉइनॉरिटी फोरम ऑफ इंडिया के अध्‍यक्ष बने और इसी दौरान वे समाजवादी पार्टी से जुड़ गए। इसी वर्ष वे समाजवादी पार्टी के ऑल इंडिया जनरल सेक्रेटरी बने। वे 26 नवंबर 1996 से 9 मार्च 2002 तक राज्यसभा सदस्य चुने गए। आजम 1998 में श्रम मंत्रालय में कार्यकारिणी समिति के सदस्‍य बने और इसी वर्ष उन्‍हें लेबर एंड वेलफेयर कमेटी का सदस्‍य भी बनाया। 
 
आजम खान 13 मई 2002 से 29 अगस्त 2003 तक उत्तरप्रदेश विधानसभा में विपक्ष के नेता रहे। वे 6 सितंबर 2003 से 13 मई 2007 तक संसदीय मामलों, शहरी विकास, जल आपूर्ति, शहरी रोजगार एवं गरीबी उन्मूलन के कैबिनेट मंत्री बने।
 
2009 के 15वें लोकसभा चुनाव में सपा की उम्‍मीदवार जयाप्रदा के खिलाफ चुनाव लड़ा और हार गए। इसके बाद समाजवादी पार्टी ने आजम खान को 6 साल के लिए पार्टी से निष्‍कासित कर दिया, लेकिन 4 दिसंबर 2010 को पार्टी ने उनका निष्‍कासन रद्द करते हुए उन्‍हें पार्टी में वापस बुला लिया। 2012 में अखिलेश यादव सरकार में वे कैबिनेट मंत्री बने।
 
2013 के इलाहाबाद कुंभ मेले के दौरान मची भगदड़ में 40 लोग मारे गए, तो इस हादसे की नैतिक ज़िम्मेदारी लेते हुए आजम खान ने कुछ ही घंटों के भीतर 11 फरवरी 2013 को अपना इस्तीफा दे दिया था। आजम खान का नाम 2013 में मुजफ्फरनगर दंगों के समय उछला, जब एक न्यूज चैनल के स्टिंग ऑपरेशन ने अखिलेश यादव सरकार को कठघरे में खड़ा कर दिया था।

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