1990 के दशक में अलग झारखंड राज्य के लिए लड़ी लड़ाई, जानिए कौन हैं चंपई सोरेन

गुरुवार, 1 फ़रवरी 2024 (21:39 IST)
Champai Soren hindi biography : झारखंड में सरायकेला-खरसांवा जिले के जिलिंगगोड़ा गांव में अपने पिता के साथ खेतों में काम करने से लेकर राज्य के नए मुख्यमंत्री के रूप में नाम प्रस्तावित किए जाने तक का 67 वर्षीय चंपई सोरेन का सफर काफी संघर्षपूर्ण रहा है।
 
झामुमो प्रमुख शिबू सोरेन के वफादार माने जाने वाले राज्य के परिवहन मंत्री चंपई सोरेन को 1990 के दशक में अलग (झारखंड) राज्य के लिए चली लंबी लड़ाई में योगदान देने को लेकर ‘झारखंड टाइगर’ के नाम से भी जाना जाता है।
 
चंपई ने झामुमो विधायक दल का नेता चुने जाने के बाद कहा कि मैं अपने पिता (सिमल सोरेन) के साथ खेतों में काम किया करता था, अब किस्मत ने मुझे एक अलग भूमिका निभाने का मौका दिया है।
 
मनीलांड्रिंग के एक मामले में हेमंत सोरेन के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने और फिर उनकी गिरफ्तारी होने के बाद चंपई झामुमो विधायक दल के नए नेता चुने गए। सरकारी स्कूल से मैट्रिक तक की पढ़ाई करने वाले चंपई की शादी काफी कम उम्र में ही हो गई थी। उनके चार बेटे और तीन बेटियां हैं।
 
निर्दलीय के रूप में शुरुआत : चंपई ने 1991 में सरायकेला सीट से उपचुनाव में निर्दलीय विधायक चुने जाने के साथ अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत की। इसके चार साल बाद उन्होंने झामुमो के टिकट पर विधानसभा चुनाव लड़ा और भाजपा उम्मीदवार पंचू टुडू को हराया था। साल 2000 के विधानसभा चुनाव में इसी सीट पर वे भाजपा के अनंत राम टुडू से हार गए।
 
कैबिनेट मंत्री रहे : उन्होंने 2005 में भाजपा उम्मीदवार को 880 मतों के अंतर से शिकस्त देकर इस सीट पर फिर से अपना कब्जा जमा लिया। चंपई ने 2009, 2014 और 2019 के चुनावों में भी जीत हासिल की। वे सितंबर 2010 से जनवरी 2013 के बीच अर्जुन मुंडा नीत भाजपा-झामुमो गठबंधन सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे थे।
 
हेमंत सोरेन ने जब 2019 में राज्य में सरकार बनाई, तब चंपई खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति और परिवहन मंत्री बनाए गए। चंपई का नाम राज्य के नए मुख्यमंत्री के रूप में प्रस्तावित किया गया है और एक समर्थन पत्र राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन को सौंपा गया है। (एजेंसियां)
Edited By : Chetan Gour 

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