Dr. Mohan Yadav Yadav Hindi Profile : मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने काफी संघर्ष के बाद राजनीति में बड़ा मुकाम हासिल किया। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की उपस्थिति में डॉ. यादव ने 13 दिसंबर 2023 को भोपाल में प्रदेश के 19वें मुख्यमंत्री के रूप में पद एवं गोपनीयता की शपथ ली।
छात्र जीवन से राजनीति की शुरुआत : मोहन यादव ने छात्र जीवन से राजनीति की शुरुआत की। वे अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद में प्रदेश के विभिन्न पदों पर रहे। राष्ट्रीय महामंत्री के पद के दायित्वों का निर्वहन किया। माधव विज्ञान महाविद्यालय में 1982 में डॉ. यादव छात्रसंघ के संयुक्त सचिव तथा 1984 में छात्रसंघ अध्यक्ष निर्वाचित हुए। 2004-2010 में उज्जैन विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष (राज्यमंत्री दर्जा)। 2011-2013 में मध्यप्रदेश राज्य पर्यटन विकास निगम, भोपाल के अध्यक्ष (कैबिनेट मंत्री दर्जा) बने।
जन्म और शिक्षा : मोहन यादव का जन्म 25 मार्च 1965 को उज्जैन में हुआ। शिक्षा की बात करें तो उन्होंने एमबीए, पीएचडी की है। उनकी पत्नी का नाम सीमा यादव है।
लगातार विधानसभा चुनाव जीते : डॉ. यादव 2013 में 14वीं विधानसभा, 2018 में दूसरी बार 15वीं विधानसभा सदस्य निर्वाचित हुए। वे 2 जुलाई, 2020 को कैबिनेट मंत्री बने। डॉ. यादव वर्ष 2023 में 16वीं विधानसभा के लिए तीसरी बार सदस्य निर्वाचित हुए।
शिक्षा नीति का सफल क्रियान्वयन : डॉ. यादव जुलाई 2020 से कैबिनेट मंत्री उच्च शिक्षा विभाग रहे। उच्च शिक्षा मंत्री के रूप में देश में पहली बार मप्र में राष्ट्रीय शिक्षा नीति का सफल क्रियान्वयन, 54 नए महाविद्यालय खोले।
पुरस्कारों की लंबी लिस्ट : डॉ. यादव को उज्जैन के समग्र विकास के लिए अप्रवासी भारतीय संगठन शिकागो (अमेरिका) द्वारा महात्मा गांधी पुरस्कार तथा इस्कॉन इंटरनेशनल फाउंडेशन द्वारा सम्मानित किया गया। उन्हें मध्यप्रदेश में पर्यटन के निरंतर विकास के लिए वर्ष 2011-2012 एवं 2012-2013 में राष्ट्रपति द्वारा पुरस्कृत किया गया।
सामाजिक क्षेत्रों में किया काम : डॉ. यादव 2006 में भारत स्काउट एवं गाइड के जिलाध्यक्ष, मध्यप्रदेश ओलंपिक संघ के प्रदेश उपाध्यक्ष, वर्ष 2007 में अखिल भारतीय कुश्ती महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष, वर्ष 1992, 2004 एवं 2016 सिंहस्थ उज्जैन केन्द्रीय समिति के सदस्य रहे।
2000-2003 तक विक्रम विश्वविद्यालय के कार्यपरिषद (सिंडीकेट) सदस्य के दायित्व का निर्वहन किया तथा शिक्षा, स्वास्थ्य, विकलांग पुर्नवास केन्द्रों में सक्रिय भागीदारी निभाई।
पार्टी संगठन में बड़ी भूमिका : 1982 में माधव विज्ञान महाविद्यालय छात्रसंघ के सह-सचिव एवं 1984 में अध्यक्ष बने। वर्ष 1984 में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद उज्जैन के नगर मंत्री एवं 1986 में विभाग प्रमुख रहे। वर्ष 1988 में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद मध्यप्रदेश के प्रदेश सहमंत्री एवं राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य, 1989-90 में परिषद की प्रदेश इकाई के प्रदेश मंत्री, वर्ष 1991-92 में परिषद के राष्ट्रीय मंत्री, वर्ष 1993-95 में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ, उज्जैन नगर के सहखंड कार्यवाह, सायं भाग नगरकार्यवाह, वर्ष 1996 में खण्डकार्यवाह और नगरकार्यवाह, 1997 में भारतीय जनता युवा मोर्चा की प्रदेश कार्यसमिति के सदस्य बने। भाजपा की प्रदेश कार्यकारिणी के सदस्य, 2013-2016 में भाजपा के अखिल भारतीय सांस्कृतिक प्रकोष्ठ के सहसंयोजक की भूमिका निभाई।
डॉ. यादव 1998 में पश्चिम रेलवे बोर्ड की सलाहकार समिति के सदस्य बनाए गए वे 1999 में भारतीय जनता युवा मोर्चा के उज्जैन संभाग प्रभारी, वर्ष 2000-2003 में भाजपा के नगर जिला महामंत्री, वर्ष 2004 में भाजपा की प्रदेश कार्यसमिति के सदस्य, 2004 में सिंहस्थ, मध्यप्रदेश की केन्द्रीय समिति के सदस्य तथा 2008 से भारत स्काउट एंड गाइड के जिलाध्यक्ष रहे।
धार्मिक आयोजनों की शुरुआत : विक्रमोत्सव-चैत्र शुक्ल प्रतिपदा पर उज्जैन के सम्राट विक्रमादित्य द्वारा आरंभ विक्रम संवत पर प्रारंभ होने वाले भारतीय नववर्ष मनाने की परंपरा, गत 11 वर्षों से प्रतिवर्ष भव्य उत्सव शिप्रा तट पर आयोजित किया जाता है। धार्मिक आयोजनों में सक्रिय भागीदारी निभाते हुए भारतीय संस्कृति, तीज, त्यौहार, रीति-रिवाज के पारंपरिक आयोजनों में शामिल होकर साहित्यिक, सांस्कृतिक, कला, विज्ञान, पुरातत्व, वेद ज्योतिष से जुडने हेतु जनमानस को अभिप्रेरित किया। विक्रमादित्य शोधपीठ का गठन किया।
देशभर में नए मॉडल की पहचान : हिन्दुत्व को लेकर डॉ. मोहन यादव का नजरिया देश में एक नए मॉडल के रूप में अपनी पहचान बना रहा है। विकास के साथ सुशासन की तरफ बढ़ रहे डॉ. मोहन यादव ने कार्यप्रणाली में हिन्दुत्व को जिस तरह समाहित किया है, उस पर संघ और भाजपा की मंशा का असर स्पष्ट दिखाई दे रहा है। बीते एक साल में डॉ. मोहन यादव की कार्यशैली ने संकेत दे दिए हैं कि आने वाले चार वर्षों में वे पिछली किसी लकीर के पास से गुजरने की बजाय नई लकीर खींचने की तैयारी कर चुके हैं।