2002 के लोकसभा चुनाव में उन्हें पहली बार गुना से सांसद चुना गया। 2004 में 14वीं लोकसभा में उन्हें दोबारा चुना गया। 6 अप्रैल 2008 को उन्हें संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी के राज्यमंत्री का पद प्राप्त हुआ। 2009 के लोकसभा चुनाव में भी वह विजयी रहे और उन्हें वाणिज्य एवं उद्योग राज्यमंत्री का पद प्राप्त हुआ।
2014 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने सत्ता गंवा दी, लेकिन ज्योतिरादित्य अपनी सीट बचाने में कामयाब रहे थे, लेकिन 2019 की मोदी लहर में वे अपनी परंपरागत सीट नहीं बचा पाए और किसी समय अपने सहयोगी रहे केपी यादव से ही चुनाव हार गए। सिंधिया देश के धनाढ्य व्यक्तियों में से एक हैं।