सुंदरलाल पटवा : प्रोफाइल

मध्यप्रदेश के दो बार मुख्यमंत्री रहे भाजपा के वरिष्ठ नेता सुंदरलाल पटवा का 28 दिसंबर को हार्ट अटैक के बाद एक निजी अस्पताल में निधन हो गया। लंबे वक्त से बीमार चल रहे पटवा 92 वर्ष के थे। वे दो बार मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री रहे। 
 
सुंदरलाल पटवा 20 जून, 1980 से 17 फरवरी 1980 तक पहली बार मुख्यमंत्री रहे। इससे पहले अर्जुन सिंह मप्र के मुख्यमंत्री थे। इसके बाद पटवा 5 मार्च, 1990 से 15 दिसंबर 1992 तक दूसरी बार मप्र के मुख्यमंत्री बने। उनके निधन की खबर से राजनीतिक गलियारों में शोक की लहर है।
 
पटवा जी का जन्म 11 नवंबर 1924 को नीमच से 45 किमी दूर कुकड़ेश्वर कस्बे में हुआ था और वे जनता पार्टी की सरकार के दौरान 1980 और भाजपा की सरकार में 1990 में मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे। वे 1997 में छिंदवाड़ा में हुए लोकसभा उपचुनाव में पहली बार सांसद बने। 

पटवा पहली बार राज्य के मुख्यमंत्री 20 जनवरी 1980 को बने थे। जनता पार्टी सरकार के कार्यकाल में वे पहली बार 17 फरवरी 1980 तक ही मुख्यमंत्री रहे। इसके बाद वर्ष 1990 में राज्य में भाजपा की सरकार बनी और उस समय पटवा ने पांच मार्च 1990 से 15 दिसंबर 1992 तक मुख्यमंत्री पद की कमान संभाली। उस समय राष्ट्रपति शासन लगाने के कारण उन्हें मुख्यमंत्री पद छोड़ना पड़ा था।
 
छात्र जीवन से ही सक्रिय रहे पटवा 1942 में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक बने। 1948 में संघ के आंदोलन में शामिल होने के कारण उन्हें कुछ माह जेल में भी गुजारना पड़े। समय बीतने के साथ ही पटवा सहकारी आंदोलन से जुड गए और तब उन्होंने अनेक महत्वपूर्ण दायित्वों को संभाला। वे आपातकाल के दौरान भी जेल में रहे। जनसंघ से अपनी राजनीति शुरू करने वाले पटवा बाद में जनता पार्टी और फिर भारतीय जनता पार्टी से जुड गए।
  
पटवा मौजूदा मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान के राजनीति के गुरु भी माने जाते हैं। वे राज्य की राजनीति में कई दशकों तक सक्रिय रहे और उनके नेतृत्व और मुद्दों की समझ का लोहा विपक्षी दल के नेता भी मानते थे। काफी समय से वह राजधानी भोपाल में ही अपने सरकारी आवास पर निवास कर रहे थे। 

उन्होंने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत जन संघ से की थी, जो 1977 में जनता पार्टी के साथ जुड़ गई थी। हालांकि इसके बाद जन संघ की हिंदुत्व विचारधारा में विश्वास रखने वाले सदस्यों ने पार्टी से खुद को अलग कर लिया और 1980 में भारतीय जनता पार्टी की शुरुआत की। 
 
वह 1977 में हुए छिंदवाड़ा के उपचुनाव में पहली बार सांसद चुने गए थे। हालांकि 1998 में हुए आम चुनावों में उन्हें यहां से हार का सामना करना पड़ा था। 
 
वर्ष 1998 में जब वे होशंगाबाद से सांसद चुने गए तब उन्हें अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री बनाया गया था। 

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