अमेठी की जंग, भाजपा और कांग्रेस उधार के खिलाड़ियों पर निर्भर
शनिवार, 12 फ़रवरी 2022 (13:27 IST)
अमेठी। पारंपरिक प्रतिद्वंद्वी भाजपा और कांग्रेस कभी गांधी परिवार के गढ़ रहे अमेठी की लड़ाई में उधार के खिलाड़ियों पर निर्भर हैं।
अमेठी विधानसभा सीट पर भाजपा ने पूर्व कांग्रेस नेता संजय सिंह को मैदान में उतारा है, जो 2019 में कांग्रेस छोड़ भाजपा में आ गए थे। वहीं, कांग्रेस ने इस सीट से आशीष शुक्ला को प्रत्याशी बनाया है। इस सीट पर पांचवे चरण में 27 फरवरी को मतदान होना है।
बसपा से शुक्ला 2017 में भाजपा में आए थे और अब कांग्रेस में चले गए हैं। संजय सिंह की उम्मीदवारी की घोषणा के कुछ क्षण बाद शुक्ला को दिल्ली में कांग्रेस में शामिल किया गया और तुरंत उनको इस हाई प्रोफाइल सीट से टिकट दे दिया गया। यह सीट इंदिरा गांधी के जमाने से गांधी परिवार के लिए काफी महत्तवपूर्ण रही हैं।
टिकट मिलने के बाद से बिना समय गंवाए सिंह और शुक्ला दोनों अपनी-अपनी नई पार्टी के प्रति वफादारी की शपथ ले रहे हैं और अपनी-अपनी पार्टी के घोषणा पत्र के साथ मतदाताओं तक पहुंच रहे हैं।
भाजपा और कांग्रेस की लड़ाई में सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने आजीवन कारावास की सजा काट रहे गायत्री प्रजापति की पत्नी महाराजी प्रजापति को अमेठी विधानसभा सीट से मैदान में उतारा है। मायावती की बसपा ने दलित-ब्राह्मण फॉर्मूले के तहत रागिनी तिवारी को मैदान में उतारा है।
अमेठी की लड़ाई 2014 में शुरू हुई जब केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने राहुल गांधी को चुनौती दी थी, वह 2014 में तो चुनाव हार गईं लेकिन 2019 में राहुल गांधी को हराकर उन्होंने अपनी पिछली हार का बदला लिया।
अमेठी लोकसभा क्षेत्र की पांच विधानसभा सीटों में से 2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने चार सीटों पर जीत हासिल की थी। गौरीगंज सीट तब सपा के खाते में गई थी, जबकि कांग्रेस अपने ही गढ़ में खाली हाथ रही थी। अमेठी लोकसभा सीट में पांच विधानसभा क्षेत्र अमेठी, गौरीगंज, जगदीशपुर (सुरक्षित), तिलोई और सलोन (पड़ोसी रायबरेली जिले में स्थित) शामिल हैं।
कांग्रेस प्रत्याशी शुक्ला, जो कभी अमेठी से लोकसभा चुनाव में राहुल गांधी के खिलाफ लड़े थे और एक लाख से अधिक वोट हासिल किये थे, अब प्रियंका गांधी के 'लड़की हूं लड़ सकती हूं' के नारे के साथ मैदान में हैं।
सपा सरकार में मंत्री रहे गायत्री नाबालिग लड़की से सामूहिक बलात्कार मामले में उम्रकैद की सजा काट रहे हैं। अपनी मां का चुनाव प्रचार देख रहे गायत्री के बेटे अनिल प्रजापति ने कहा, 'यह सब झूठ है ... मेरे पिता को साजिश के तहत मामले में फंसाया गया था।'
प्रजापति की पुत्रियां- अंकिता प्रजापति और सुधा प्रजापती, जेल में बंद अपने पिता को न्याय दिलाने के लिए सोशल मीडिया का सहारा ले रही हैं। बसपा प्रत्याशी रागिनी तिवारी भारी संख्या में ब्राह्मण जाति के वोट और दलितों में मायावती के आधार वोट के साथ अपना प्रचार कर रही हैं।
विभिन्न राजनीतिक पार्टियों में सूत्रों के अनुसार अमेठी विधानसभा क्षेत्र में 3.48 लाख से अधिक मतदाता हैं। इसमें से ब्राह्मणों की संख्या 80,000 है। ठाकुर 30,000 के आसपास, मुस्लिम 25,000, दलित 30,000 और अन्य पिछड़ा वर्ग के लगभग 1.25 लाख मतदाता हैं। सिंह जहां ठाकुर हैं, वहीं कांग्रेस प्रत्याशी शुक्ला और बसपा प्रत्याशी तिवारी ब्राह्मण हैं। सपा की महाराजी प्रजापति अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) से हैं।
प्रभावशाली स्थानीय भाजपा नेता राजेश आग्रही, जो स्मृति ईरानी के निर्वाचन क्षेत्र के प्रतिनिधि भी हैं, ने बताया, 'न तो राहुल गांधी को यहां के लोग स्वीकारने वाले हैं और न ही कोई जाति कारक यहां काम करेगा।'
चुनाव में टिकट के प्रबल दावेदार रहे आग्रही ने कहा कि हर गरीब के होठों पर केवल मोदी-योगी मंत्र है। बिना किसी भेदभाव के डबल इंजन सरकार लोगों को मुफ्त राशन और स्वास्थ्य लाभ दे रही है।
कॉलेज छात्रा साधना और प्रीति का कहना है कि प्रियंका गांधी की 'लड़की हूं... लड़ सकती हूं' नारे का लोगों के बीच कोई असर नहीं है। जयश मोहल्ले की रहने वाली प्रीति ने कहा कि हम पढ़ेंगे या गुंडों से लड़ेंगे?
पांडेयपुर बाजार के जंग बहादुर सिंह, लोकनाथ यादव और राम बहादुर यादव ने कहा कि वे उन्हें ही वोट देंगे जो क्षेत्र में विकास कार्य करने का वादा करते हैं। गौरीगंज के माधवपुर गांव के पितरदीन शुक्ला और बिनोद कुमार शुक्ला ने कहा, '(मुहम्मद अली) जिन्ना और पाकिस्तान उन्हें रोजी-रोटी नहीं देंगे। हमें किसी ऐसे व्यक्ति की जरूरत है जो क्षेत्र में विकास कार्य करे।'
जिला कांग्रेस अध्यक्ष प्रशांत त्रिपाठी एवं उनके साथी अनुपम पांडे और अनिल सिंह ने अमेठी में कांग्रेस द्वारा स्थापित किए गए पेट्रोलियम संस्थान, केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) प्रशिक्षण शिविर और राष्ट्रीय राजमार्ग का जिक्र किया।
वहीं, भाजपा जिला इकाई के अध्यक्ष दुर्गेश त्रिपाठी ने बताया कि राहुल गांधी के कार्यकाल के दौरान सीटी स्कैन तक की सुविधा यहां नहीं थी और स्मृति जी के समय नौ आक्सीजन संयत्र लगाये गये। यातायात भीड़ को कम करने के लिए एक ओवरब्रिज का निर्माण कराया गया। (भाषा)