पुरी में किसको मिलेगा भगवान जगन्नाथ का आशीर्वाद, BJD और BJP में कड़ी टक्कर

वृजेन्द्रसिंह झाला
बुधवार, 22 मई 2024 (12:37 IST)
Puri Lok Sabha Seat: भगवान जगन्नाथ की धरती पुरी में इस बार ओडिशा में सत्तारूढ़ बीजू जनता दल (BJD) और केन्द्र की सत्ता में मौजूद भाजपा (BJP) उम्मीदवारों के बीच कड़ी टक्कर है। भाजपा ने यहां से संबित पात्रा (Sambit Patra) को टिकट दिया है, जबकि बीजद ने पिनाकी मिश्र का टिकट काटकर अरूप पटनायक (Arup Patnaik) को उम्मीदवार बनाया है। कांग्रेस ने यहां से जयनारायण पटनायक (Jainarayan Patnaik) को मैदान में उतारा है। ALSO READ: बठिंडा में ससुर को हराने वाले खुड्‍डियां बहू हरसिमरत कौर को दे रहे हैं कड़ी टक्कर
 
क्यों कटा पिनाकी मिश्र का टिकट : बीजद के तीन बार के सांसद पिनाकी मिश्र ने पिछला चुनाव मात्र 11 हजार 714 वोटों से जीता था। हालांकि 2014 में मिश्र ने 2 लाख 63 हजार से ज्यादा वोटों से चुनाव जीता था। भाजपा ने 2019 में भी संबित पात्रा को ही उम्मीदवार बनाया था। इस बार भाजपा को उम्मीद है कि वह इस सीट से चुनाव जीत सकती है। महुआ मोइत्रा से जुड़े मामले में नाम आने के बाद पिनाकी मिश्र की काफी किरकिरी हुई थी। इसी मामले के चलते उन्हें टिकट से भी हाथ धोना पड़ा था। हालांकि मिश्र ने आरोप लगाने वाले वकील जय अनंत देहाद्रई के खिलाफ मानहानि का मुकदमा भी दायर किया था। इसके साथ मिश्र के पार्टी प्रमुख नवीन पटनायक से भी कुछ वैचारिक मतभेद थे। ALSO READ: कौशांबी में इस बार BJP के विनोद सोनकर की राह आसान नहीं, सपा से मिल रही है कड़ी टक्कर
 
संबित पात्रा का सेल्फ गोल : संबित पात्रा ने अंजाने में ही सही भगवान जगन्नाथ पर टिप्पणी कर सेल्फ गोल दाग दिया। दरअसल, एक डिबेट के दौरान उनके मुंह से निकल गया कि भगवान जगन्नाथ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के भक्त हैं। हालांकि बाद में उन्होंने कहा कि यह जुबान फिसलने के कारण हुआ और वह यह कहना चाहते थे कि प्रधानमंत्री भगवान जगन्नाथ के परम ‘भक्त’ हैं। पात्रा ने माफी मांगी साथ ही तीन दिन तक उपवास रखकर प्रायश्चित करने की घोषणा की। हालांकि तब तक देर हो चुकी थी और विपक्षी दलों ने इस मुद्दे को हाथोंहाथ लपक लिया। यह टिप्पणी भाजपा की उम्मीदों पर पानी फेर सकती है। ALSO READ: वाराणसी में नरेन्द्र मोदी के सामने फिर अजय राय, कम हो सकता है जीत का अंतर
 
कांग्रेस नेता सुप्रिया श्रीनेत ने कहा कि पात्रा के बयान की जितनी निंदा की जाए, कम है। उन्होंने कहा- ऐसा पहली बार नहीं है जब भाजपा ने हिंदू देवी-देवताओं को नरेंद्र मोदी के समकक्ष खड़ा कर उनका अपमान किया है। अयोध्या प्राण प्रतिष्ठा के दौरान भाजपा के आधिकारिक हैंडल से एक फोटो पोस्ट की गई थी, जिसमें श्रीराम एक बच्चे के रूप में हैं और नरेंद्र मोदी उनकी उंगली पकड़कर उन्हें ले जा रहे हैं। इस बयान के बाद संभव है कि पात्रा की लोकसभा चुनाव जीतने की हसरत अधूरी रह जाए। इस विवाद को उस समय और हवा मिल गई जब बैडमिंटन खिलाड़ी साइना नेहवाल ने एक फोटो ट्‍वीट कर दिया। इस फोटो में पीएम नरेन्द्र मोदी दिखाई दे रहे हैं, जबकि उनके पीछे जगन्नाथ मंदिर की ब्लर इमेज दिखाई दे रही है। 
 
दूसरी ओर, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर कटाक्ष करते हुए ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक के करीबी सहयोगी वीके पांडियन ने भाजपा के स्टार प्रचारकों को ‘राजनीतिक पर्यटक’ बताया और कहा कि वे ओडिशा की राजधानी का नाम तक नहीं बता सकते। दरअसल, हाल ही में मोदी ने पटनायक को राज्य के जिलों की ‘राजधानियों’ का नाम बताने की चुनौती दी थी, जो यह दिखाने का प्रयास था कि बढ़ती उम्र के साथ पटनायक का लोगों से संपर्क टूट गया है।
 
कौन हैं अरूप पटनायक : बीजद उम्मीदवार अरूप पटनायक रिटायर्ड आईपीएस अधिकारी हैं। वे ओडिशा के एकमात्र ऐसे आईपीएस अधिकारी हैं, जो मुंबई के पुलिस कमिश्नर रहे हैं। पटनायक ने 2015 में रिटायर हुए और उनकी राजनीतिक यात्रा की शुरुआत 2018 में बीजू जनता दल के साथ हुई। बीजद ने उन्हें 2019 में भी भुवनेश्वर से टिकट दिया था, लेकिन वे पूर्व आईएएस और भाजपा उम्मीदवार अपराजिता सारंगी से मात्र 19000 वोटों से चुनाव हार गए थे। 
7 में से 5 विधानसभा सीटों पर बीजद का कब्जा : यह लोकसभा सीट 7 विधानसभा क्षेत्रों में बंटी हुई है। पुरी और ब्रह्मगिरी सीटों पर भाजपा का कब्जा है, जबकि सत्यबादी, पिपिली, चिलका, रानपुर और नयागढ़ सीटों पर बीजद के विधायक हैं। पुरी सीट पर मतदाताओं की संख्या करीब 14 लाख 5 हजार 650 है, जो पिछले चुनाव के मुकाबले 51 हजार 399 ज्यादा है। 
 
25 साल से बीजद का दबदबा : इस लोकसभा सीट के इतिहास पर नजर डालें तो 1998 से बीजू जनता दल का कब्जा बरकरार है। 1952 में पहला चुनाव यहां से कांग्रेस के लोकनाथ मिश्रा ने जीता था। कांग्रेस यहां से 6 बार चुनाव जीत चुकी है। 1967 में यहां से संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के रबि राय चुनाव जीते थे, जबकि आपातकाल के बाद 1977 में हुए चुनाव में जनता पार्टी के पदमचरण विजयी हुए थे। भारतीय जनता पार्टी अभी तक एक बार भी इस सीट से चुनाव नहीं जीत सकी है। 

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