Prayagraj Mahakumbh : महाकुंभ के दौरान 6 दिन में 7 करोड़ श्रद्धालुओं ने लगाई आस्था की डुबकी, नरसिंहानंद ने आचार्यों पर लगाया वैभव दिखाने का आरोप

वेबदुनिया न्यूज डेस्क

शुक्रवार, 17 जनवरी 2025 (00:29 IST)
Prayagraj Mahakumbh News : विश्व के सबसे बड़े धार्मिक समागम में श्रद्धालुओं का आना और गंगा और त्रिवेणी में डुबकी लगाना अनवरत जारी है। मेला प्रशासन के मुताबिक 11 जनवरी से 16 जनवरी तक इन 6 दिनों में 7 करोड़ लोगों ने गंगा और संगम में आस्था की डुबकी लगाई है। बृहस्पतिवार को ही 30 लाख से ज्यादा लोगों ने महाकुंभ में गंगा में स्नान किया। वहीं जूना अखाड़े के महामंडलेश्वर यति नरसिंहानंद गिरि ने बृहस्पतिवार को आरोप लगाया कि शीर्ष धर्मगुरुओं ने महाकुंभ का इस्तेमाल सनातन धर्म की रक्षा पर ध्यान केंद्रित करने के बजाय व्यक्तिगत वैभव दिखाने के लिए किया है।
 
एक आधिकारिक बयान में यह जानकारी दी गई है। बयान के मुताबिक बृहस्पतिवार को ही 30 लाख से ज्यादा लोगों ने महाकुंभ में गंगा में स्नान किया। राज्य सरकार को महाकुंभ में 45 करोड़ लोगों से ज्यादा लोगों के आने का अनुमान है। प्रयागराज में कड़ाके की ठंड के बावजूद श्रद्धालुओं और स्नान करने वालों के उत्साह में कोई कमी नहीं दिख रही है। पूरे देश और दुनिया से त्रिवेणी में डुबकी लगाने के लिए प्रतिदिन लाखों श्रद्धालु प्रयागराज पहुंच रहे हैं।
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बृहस्पतिवार को शाम 6 बजे तक प्राप्त जानकारी के अनुसार 30 लाख से ज्यादा लोगों ने त्रिवेणी संगम में स्नान किया जिसमें 10 लाख कल्पवासियों के साथ-साथ देश विदेश से आए श्रद्धालु एवं साधु-संत शामिल हैं। महाकुंभ शुरू होने से पहले 11 जनवरी को लगभग 45 लाख लोगों ने स्नान किया तो वहीं 12 जनवरी को 65 लाख लोगों के स्नान करने का रिकॉर्ड दर्ज हुआ। महाकुंभ के पहले दिन पौष पूर्णिमा स्नान पर्व पर 1.70 करोड़ लोगों ने स्नान कर रिकॉर्ड बनाया तो अगले दिन 14 जनवरी को मकर संक्रांति अमृत स्नान के अवसर पर 3.50 करोड़ लोगों ने डुबकी लगाई।
 
इस तरह, महाकुंभ के पहले दो दिनों में 5.20 करोड़ से ज्यादा लोगों ने डुबकी लगाई। इसके अलावा, 15 जनवरी को महाकुम्भ के तीसरे दिन 40 लाख और 16 जनवरी को शाम 6 बजे तक 30 लाख लोगों ने संगम स्नान किया। इस तरह, स्नान करने वालों की संख्या सात करोड़ के पार पहुंच गई। 
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जूना अखाड़े के यति नरसिंहानंद ने  लगाया वरिष्ठ आचार्यों पर महाकुंभ में व्यक्तिगत वैभव दिखाने का आरोप : जूना अखाड़े के महामंडलेश्वर यति नरसिंहानंद गिरि ने बृहस्पतिवार को आरोप लगाया कि शीर्ष धर्मगुरुओं ने महाकुंभ का इस्तेमाल सनातन धर्म की रक्षा पर ध्यान केंद्रित करने के बजाय व्यक्तिगत वैभव दिखाने के लिए किया है।
 
श्री पंचदशनाम जूना अखाड़े की ओर से जारी एक बयान में गिरि ने प्रयागराज महाकुंभ में मुसलमानों के प्रवेश पर रोक लगाने के लिए अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत रवींद्र पुरी और महासचिव महंत हरि गिरि महाराज समेत नेतृत्व की प्रशंसा की और इसे हिंदू मूल्यों व परंपराओं की रक्षा की दिशा में एक कदम बताया।
 
बयान के अनुसार गिरि ने कहा, हमारे तथाकथित वरिष्ठ आचार्य इस मंच का इस्तेमाल फालतू बयानबाजी के लिए कर रहे हैं और 100 करोड़ से अधिक हिंदुओं को गुमराह कर रहे हैं। जबकि भारत एक इस्लामिक राष्ट्र बनने की कगार पर है, हमारे वरिष्ठ आचार्यगण इस पर चिंतित ना होकर अपने वैभव प्रदर्शन में लगे हुए हैं।
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बयान में कहा गया है कि उन्होंने हिंदुओं से आत्मनिरीक्षण करने का आग्रह करते हुए पूछा, क्या इन तथाकथित धर्मगुरुओं का व्यक्तिगत वैभव सनातन धर्म की रक्षा कर सकता है? अतीत में कई बार विभाजित हो चुका भारत हमारी अंतिम शरणस्थली है। यदि हम इसे खो देते हैं, तो सनातन धर्म के बीज भी जीवित नहीं रह पाएंगे।
 
बयान के अनुसार, जनसांख्यिकीय परिवर्तनों का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा, तेजी से बढ़ती मुस्लिम आबादी जल्द ही लोकतांत्रिक तरीकों से भारत को एक इस्लामिक देश में बदल देगी। एक इस्लामिक भारत वैश्विक शांति और मानवता के लिए सबसे बड़ा खतरा पैदा करेगा, क्योंकि यह वैश्विक जिहादियों के लिए एक मार्गदर्शक शक्ति के रूप में काम करेगा।
 
बयान में कहा गया है कि गिरि ने विशेष रूप से दारुल उलूम देवबंद और उसके सहयोगी संगठनों, तब्लीगी जमात और जमीयत उलेमा-ए-हिंद का नाम लेते हुए उन पर मुसलमानों को जिहाद के लिए प्रशिक्षित करने और दुनियाभर में निर्दोष लोगों के खिलाफ हिंसा भड़काने का आरोप लगाया।
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गिरि ने चेतावनी देते हुए कहा, भारत का भी वही हश्र होगा जो पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश का हुआ है और वह हिंदू विहीन हो जाएगा। भारत में हिंदुओं के विनाश का मतलब होगा सनातन धर्म का पूर्ण विनाश। इसके लिए पूरी तरह से जिम्मेदार हमारे धर्मगुरु होंगे जिन्होंने न तो धर्म की रक्षा के लिए कोई कदम उठाया और न ही हिंदुओं को ऐसा करने दिया। (एजेंसियां)
Edited By : Chetan Gour

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